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Bihar Board Subject Hindi 10th Chapter 9

Free { काव्यखंड } Bihar Board Subject Hindi 10th Chapter 9 : हमारी नींद

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Bihar Board Subject Hindi 10th Chapter 9 : बिहार बोर्ड कक्षा 10 विषय हिंदी गोधूलि पार्ट 2 पाठ 9 ‘हमारी नींद’ लेखक ‘विरेन डंगवाल’ केद्वारा लिख गया हैं | आप इस आर्टिकल में सभी सवालों के जवाब पढ़ने को मिलेगें जो आपको प्रतियोगिता परीक्षा में कभी मदद करने वाली हैं तो इस प्सोत को अंत तक जरुर पढ़ें | अन्य सभी पाठ और विषय के लिंक निचे दिया गया है |

‘हमारी नींद,’ विरेन डंगवाल द्वारा लिखित, नींद के महत्व पर केंद्रित है। इस पाठ में बताया गया है कि नींद न केवल शारीरिक आराम का माध्यम है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए भी जरूरी है। नींद हमें दिनभर की थकान से मुक्ति दिलाती है, नई ऊर्जा देती है, और हमारी मानसिक स्थिति को संतुलित रखती है। लेखक ने नींद की कमी के दुष्प्रभावों को भी उजागर किया है, जिससे हमारी काम करने की क्षमता प्रभावित होती है। इस पाठ के माध्यम से नींद के महत्व को समझने और उसे प्राथमिकता देने की प्रेरणा मिलती है।

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Bihar Board Subject Hindi 10th Chapter 9

Board NameBihar School Examination Board
Class10th
SubjectHindi ( गोधूलि भाग-2 )
Chapterहमारी नींद
Writerवीरेन डंगवाल
Sectionकाव्य खंड
LanguageHindi
Exam2025
Last UpdateLast Weeks
Marks100

हमारी नींद

पाठ 9 ‘हमारी नींद,’ विरेन डंगवाल द्वारा लिखित, एक ऐसी रचना है जो हमारे जीवन में नींद के महत्व और उसकी विशिष्टता को रेखांकित करती है। यह पाठ हमारे रोजमर्रा के जीवन में नींद की भूमिका और उसकी आवश्यकता को समझने का प्रयास करता है।

विरेन डंगवाल ने इस पाठ में नींद को सिर्फ एक शारीरिक प्रक्रिया के रूप में नहीं, बल्कि जीवन के अनिवार्य और महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में प्रस्तुत किया है। उन्होंने बताया है कि नींद केवल शरीर को आराम देने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह मनुष्य के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए भी उतनी ही आवश्यक है।

इस पाठ में यह भी बताया गया है कि नींद एक तरह से हमें दिनभर की थकान और तनाव से मुक्ति दिलाती है। यह हमारी चिंताओं और तनावों को हल्का करती है, और एक नई ऊर्जा के साथ अगले दिन की शुरुआत करने में मदद करती है। नींद के माध्यम से हम अपनी इच्छाओं और सपनों को भी देख पाते हैं, जो हमारे जीवन में प्रेरणा का स्रोत बनते हैं।

वहीं, लेखक ने यह भी दर्शाया है कि अगर नींद में व्यवधान उत्पन्न होता है, तो यह हमारी शारीरिक और मानसिक स्थिति को प्रभावित कर सकता है। नींद की कमी से मनुष्य चिड़चिड़ा, थका हुआ, और असंतुलित महसूस करता है, जिससे उसके काम करने की क्षमता में भी कमी आ जाती है।

विरेन डंगवाल ने इस पाठ के माध्यम से नींद के महत्व को हमारे जीवन में पुनः स्थापित किया है। उन्होंने यह स्पष्ट किया है कि एक अच्छी और पर्याप्त नींद न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए, बल्कि मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए भी अति आवश्यक है।

इस प्रकार, ‘हमारी नींद’ पाठ यह संदेश देता है कि जीवन के हर पहलू में संतुलन बनाए रखने के लिए, हमें अपनी नींद का भी ध्यान रखना चाहिए। यह पाठ हमें अपने जीवन में नींद को प्राथमिकता देने की प्रेरणा देता है।

हमारी नींद से संबंधित महत्पूर्ण सवाल

प्रश्न 1: कविता के प्रथम अनुच्छेद में कवि एक बिंब की रचना करता है। उसे स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
कविता के प्रथम अनुच्छेद में कवि वीरेन डंगवाल ने मानव जीवन के एक प्रतीकात्मक चित्रण (बिंब) की रचना की है। यहाँ कवि ने नींद को अकर्मण्यता और निष्क्रियता का प्रतीक माना है, जिससे व्यक्ति अपने जीवन को सुविधाभोगी और आरामपसंद बनाकर सो जाता है। लेकिन इसके विपरीत, प्रकृति में एक छोटा-सा बीज अपनी कर्मठता और जीवनशक्ति के बल पर धरती की कठोर सतह को तोड़कर अंकुरित हो जाता है। इस बिंब के माध्यम से कवि यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि कर्मठता से जीवन की कठिनाइयों को पार किया जा सकता है, जबकि अकर्मण्यता और आराम की प्रवृत्ति से जीवन ठहराव में आ जाता है।

प्रश्न 2: मक्खी के जीवन-क्रम का कवि द्वारा उल्लेख किये जाने का क्या आशय है?

उत्तर:
कवि ने मक्खी के जीवन-क्रम का उल्लेख यह बताने के लिए किया है कि कुछ जीवन-क्रम केवल सुविधा, स्वार्थ, और परजीवी प्रवृत्तियों पर आधारित होते हैं। मक्खी का जीवन-क्रम संकीर्णता और तुच्छता को दर्शाता है, जहाँ वह अपने अस्तित्व के लिए दूसरों पर निर्भर रहती है। इसके माध्यम से कवि यह संदेश देना चाहते हैं कि ऐसे जीवन की कोई वास्तविक महत्ता नहीं होती, और इसे आदर्श नहीं माना जा सकता। मक्खी का जीवन अकर्मण्यता और परजीविता का प्रतीक है, जो कि एक सीमित और संकीर्ण जीवन-शैली का प्रतिनिधित्व करता है।

प्रश्न 3: कवि गरीब बस्तियों का क्यों उल्लेख करता है?

उत्तर:
कवि गरीब बस्तियों का उल्लेख इस बात को रेखांकित करने के लिए करते हैं कि जहाँ के लोग अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए भी संघर्ष करते हैं, वहाँ पूजा-पाठ और देवी जागरण जैसे महोत्सव कितने सार्थक हो सकते हैं। गरीब बस्तियों के लोग अपनी दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने में ही व्यस्त रहते हैं, और इस स्थिति का फायदा उठाकर कुछ स्वार्थी लोग अपनी व्यक्तिगत लाभ के लिए उनका इस्तेमाल करते हैं। कवि इस विरोधाभास को उजागर करते हैं कि वास्तविक विकास और सच्ची खुशी के लिए जागरूकता और समर्पण की आवश्यकता है, न कि केवल धार्मिक अनुष्ठानों में उलझे रहने की।

प्रश्न 4: कवि किन अत्याचारियों का और क्यों जिक्र करता है?

उत्तर:
कवि यहाँ उन अत्याचारियों का जिक्र करते हैं जो समाज के सुविधाभोगी, आरामपसंद जीवन का लाभ उठाते हैं। यह समाज का वह वर्ग है जो अपनी बेपरवाही और निष्क्रियता के कारण बाहरी और आंतरिक संघर्षों से बचता रहता है, जिससे अत्याचारी और भी शक्तिशाली हो जाते हैं। जब समाज का एक हिस्सा अपने ऐशो-आराम में मस्त हो जाता है, तो ये अत्याचारी अपनी ताकत बढ़ाकर समाज पर हावी हो जाते हैं। कवि इस बात पर जोर देते हैं कि हमें अपनी निष्क्रियता और आरामपसंद जीवनशैली को छोड़कर सचेत और जागरूक बनना चाहिए ताकि अत्याचारियों का विरोध किया जा सके और समाज में वास्तविक विकास हो सके।

प्रश्न 5: इनकार करना न भूलने वाले कौन हैं? कवि का भाव स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
कवि ने उन लोगों की ओर इशारा किया है जो अपनी गलतियों और भूलों को स्वीकार नहीं करते हैं। ये हठधर्मी लोग समाज में संवैधानिक और वैधानिक स्तर पर कई गलतियाँ कर जाते हैं, लेकिन जब उन्हें अपनी गलतियों का अहसास होता है, तो वे उन्हें मानने से इनकार कर देते हैं। वे अपने दलीलों को मजबूत और सही मानते हैं, जिससे उनके भीतर एक अड़ियलपन पैदा हो जाता है। कवि का यह भाव समाज के उन लोगों की ओर है जो अपने अहम और अहंकार के कारण अपनी गलतियों को स्वीकारने से कतराते हैं।

प्रश्न 6: कविता के शीर्षक की सार्थकता पर विचार कीजिए।

उत्तर:
कविता का शीर्षक “हमारी नींद” विषय-वस्तु को गहराई से प्रकट करता है। यह शीर्षक न केवल आकर्षक और छोटा है, बल्कि यह कविता के केंद्रीय विचार को भी अभिव्यक्त करता है। शीर्षक में “नींद” शब्द का प्रयोग उस निष्क्रियता और अकर्मण्यता के प्रतीक के रूप में किया गया है, जो समाज में व्याप्त है। इस तरह शीर्षक पूरी कविता के विचारों को संक्षेप में प्रस्तुत करता है और पाठक के मन में उत्सुकता जगाता है। इसलिए, शीर्षक “हमारी नींद” पूर्ण रूप से सार्थक और उपयुक्त है।

प्रश्न 7: व्याख्या करें – “गरीब बस्तियों में भी धमाके से हुआ देवी जागरण लाउडस्पीकर पर।”

उत्तर:
यह पंक्ति वीरेन डंगवाल की कविता “हमारी नींद” से ली गई है। इस अंश में कवि ने समाज के उन लोगों की स्थिति का वर्णन किया है जो गरीब बस्तियों में देवी जागरण जैसे आयोजन करते हैं, लेकिन इसका उद्देश्य सिर्फ अपने स्वार्थ को साधना होता है। वे लोग गरीबों की वास्तविक समस्याओं को नजरअंदाज कर, उनकी विवशताओं का फायदा उठाते हैं और उनका ध्यान असली मुद्दों से हटाने का प्रयास करते हैं। इस तरह के आयोजनों से गरीबों की स्थिति में कोई सुधार नहीं होता, बल्कि ये लोग केवल अपनी शक्ति और प्रभाव को प्रदर्शित करने के लिए इनका आयोजन करते हैं।

प्रश्न 8: “याने साधन तो सभी जुटा लिए हैं अत्याचारियों ने” की व्याख्या कीजिए।

उत्तर:
इस पंक्ति में कवि ने समाज में व्याप्त अत्याचारियों के चालाक तरीकों को उजागर किया है। कवि कहते हैं कि आज के समाज में कई ऐसे लोग हैं जिन्होंने अपनी आरामतलबी और स्वार्थपूर्ति के लिए सभी प्रकार के साधन जुटा लिए हैं। ये अत्याचारी लोग अपने बाहरी और आंतरिक हितों की पूर्ति के लिए हर संभव साधन अपनाते हैं, चाहे वह गलत या अनैतिक ही क्यों न हो। वे अपने स्वार्थ को साधने के लिए दूसरों का शोषण करने में भी पीछे नहीं हटते। कवि ने इस पंक्ति के माध्यम से समाज में व्याप्त इन खतरनाक प्रवृत्तियों की ओर ध्यान आकर्षित किया है।

प्रश्न 9: “हमारी नींद के बावजूद” की व्याख्या कीजिए।

उत्तर:
प्रस्तुत पंक्ति वीरेन डंगवाल की कविता “हमारी नींद” से ली गई है। इसमें कवि ने उन लोगों का वर्णन किया है जो आरामतलबी और सुविधाभोगी जीवन में डूबे रहते हैं, लेकिन इसके बावजूद जीवन की धारा रुकती नहीं है। कवि का कहना है कि चाहे हम कितनी भी नींद में क्यों न हों, यानी चाहे हम कितने भी आलसी और निष्क्रिय क्यों न हो जाएं, समय का चक्र और जीवन का क्रम बिना रुके आगे बढ़ता रहता है। यह पंक्ति हमें यह संदेश देती है कि कर्म की गति कभी थमती नहीं है, और हमारे सोने या जागने से जीवन की प्रक्रिया पर कोई असर नहीं पड़ता।

प्रश्न 10: ‘हमारी नींद’ कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखें।

उत्तर:
“हमारी नींद” कविता में कवि वीरेन डंगवाल ने समाज की निष्क्रियता और आलस्य पर व्यंग्य किया है। कविता में विभिन्न बिंबों के माध्यम से दिखाया गया है कि प्रकृति और जीवन की प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है, चाहे हम उसे नजरअंदाज करें या न करें। एक छोटा बीज धरती को चीरकर अंकुरित होता है, पेड़ ऊँचा होता है, और जीवन की यह प्रक्रिया बिना किसी रुकावट के आगे बढ़ती है।

दूसरी ओर, समाज में लोग मक्खियों की तरह जीते हैं, अपनी सुविधाओं में डूबे रहते हैं, और अपनी बेपरवाहियों के कारण अन्याय और अत्याचार का शिकार हो जाते हैं। गरीब लोग भी अपने संघर्ष से दूर भागकर धार्मिक कर्मकांडों में उलझे रहते हैं, यह सोचकर कि इससे उनका जीवन बदल जाएगा। लेकिन वास्तव में, यह उनकी नींद यानी उनकी निष्क्रियता का प्रतीक है।

कवि यह भी कहता है कि कुछ लोग, जो अन्याय के खिलाफ खड़े होते हैं और सत्य का साथ देते हैं, वे नींद में डूबे हुए समाज के बावजूद अपने संघर्ष को जारी रखते हैं। उनका यह संघर्ष मानवता की सच्ची शक्ति है, और यही विकास का मार्ग है।

प्रश्न 11: कविता में एक शब्द भी ऐसा नहीं है जिसका अर्थ जानने की कोशिश करनी पड़े। यह कविता की भाषा की शक्ति है या सीमा? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
यह कविता की भाषा की शक्ति है। साधारण और सरल शब्दों का प्रयोग करके कवि ने गहरी भावनाओं और विचारों को व्यक्त किया है, जिससे कविता हर पाठक के लिए सुलभ और समझने योग्य बन जाती है। भाषा की सादगी के बावजूद, यह कविता की गहराई और सौंदर्य को बनाए रखती है। यह कविता की शक्ति है कि वह सरल भाषा में भी महत्वपूर्ण संदेश और भावनाएँ प्रभावी रूप से व्यक्त कर सकती है।

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