Bihar Board Subject Hindi 10th Chapter 8: बिहार बोर्ड कक्षा 10 विषय हिंदी गोधूलि भाग 2 पाठ 8. ‘एक वृक्ष की हत्या’ जिसका लेखक ‘कुंवर नारायण’ है आप इस कविता का अर्थ एवं महत्पूर्ण सवालों को जानेगें जो की प्रतियोगिता परीक्षाओं में पूछे जाते हैं |
कुंवर नारायण की कविता “एक वृक्ष की हत्या” में पर्यावरण और प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाया गया है। यह कविता एक वृक्ष की हत्या को एक जीवित प्राणी की हत्या के रूप में प्रस्तुत करती है। वृक्ष हमें शुद्ध वायु, छाया, और जीवन के अन्य आवश्यक तत्व प्रदान करता है, और उसकी हत्या पर्यावरणीय संतुलन को बिगाड़ देती है। कविता मनुष्य की स्वार्थी प्रवृत्तियों की ओर संकेत करती है, जिससे वह बिना सोचे-समझे वृक्षों को काटता जा रहा है, जिससे पर्यावरण और भविष्य दोनों खतरे में हैं। यह कविता हमें प्रकृति के प्रति हमारी जिम्मेदारी का एहसास कराती है।
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Bihar Board Subject Hindi 10th Chapter 8
Board Name | Bihar School Examination Board |
Class | 10th |
Subject | Hindi ( गोधूलि भाग-2 ) |
Chapter | एक वृक्ष की हत्या |
Writer | कुंवर नारायण |
Section | काव्य खंड |
Language | Hindi |
Exam | 2025 |
Last Update | Last Weeks |
Marks | 100 |
एक वृक्ष की हत्या
कुंवर नारायण द्वारा रचित “एक वृक्ष की हत्या” कविता में पर्यावरण और प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता को प्रमुख रूप से प्रस्तुत किया गया है। यह कविता केवल एक वृक्ष की हत्या का वर्णन नहीं करती, बल्कि उसके माध्यम से मनुष्य द्वारा प्रकृति के साथ किए जा रहे अन्याय और उसके परिणामों की ओर संकेत करती है।
विस्तार में अर्थ:
कविता एक वृक्ष के जीवन और उसकी हत्या के माध्यम से पर्यावरणीय संकट पर ध्यान केंद्रित करती है। कवि ने वृक्ष को एक जीवित प्राणी के रूप में दर्शाया है, जो मनुष्य को शुद्ध वायु, फल, छाया, और जीवन के अन्य आवश्यक तत्व प्रदान करता है। जब इस वृक्ष को काटा जाता है, तो यह केवल एक पेड़ की हत्या नहीं होती, बल्कि उसके साथ जुड़ी हुई पूरी जीवनशैली और पर्यावरणीय संतुलन को भी समाप्त कर दिया जाता है।
कवि वृक्ष की हत्या को इस प्रकार प्रस्तुत करते हैं जैसे किसी जीवित प्राणी का वध हो रहा हो। वृक्ष काटते समय जो आवाज़ होती है, वह मानो उस वृक्ष की चीख हो। यह हमें उस दर्द और पीड़ा का एहसास दिलाता है, जिसे प्रकृति सहन करती है, लेकिन व्यक्त नहीं कर सकती।
कविता इस बात को उजागर करती है कि मनुष्य अपनी स्वार्थी प्रवृत्तियों के चलते प्रकृति का दोहन कर रहा है। वह केवल अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वृक्षों को काटता जा रहा है, बिना यह सोचे कि इसके दूरगामी परिणाम क्या हो सकते हैं। यह कृत्य केवल पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचा रहा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को भी अंधकारमय बना रहा है।
निष्कर्ष:
“एक वृक्ष की हत्या” कविता के माध्यम से कुंवर नारायण ने पर्यावरण संरक्षण के महत्व को गहनता से समझाया है। यह कविता हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि जब हम एक वृक्ष को काटते हैं, तो हम केवल एक पेड़ को नहीं, बल्कि पृथ्वी पर जीवन के संतुलन को भी नष्ट कर रहे हैं। आज के समय में, जब पर्यावरणीय समस्याएं बढ़ती जा रही हैं, यह कविता अत्यंत प्रासंगिक हो जाती है और हमें प्रकृति के प्रति अपनी जिम्मेदारी का एहसास कराती है।
एक वृक्ष की हत्या से संबंधित महत्पूर्ण प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1: कवि को वृक्ष बूढ़ा चौकीदार क्यों लगता था?
उत्तर:
कवि को वृक्ष बूढ़ा चौकीदार इसलिए लगता था क्योंकि वह वृक्ष बहुत पुराना था और वर्षों से कवि के घर के सामने खड़ा था, मानो घर की सुरक्षा का दायित्व निभा रहा हो। कवि इस वृक्ष को एक प्रहरी की तरह देखता था, जो न केवल घर की रक्षा करता था, बल्कि पर्यावरण और सभ्यता का भी संरक्षण करता था। यह वृक्ष कवि के लिए जीवन, सभ्यता और संस्कृति का प्रतीक था, जो अनगिनत वर्षों से अपनी जगह पर स्थिर खड़ा था, इसलिए वह उसे बूढ़ा चौकीदार समझता था।
प्रश्न 2: वृक्ष और कवि में क्या संवाद होता था?
उत्तर:
वृक्ष और कवि के बीच एक भावनात्मक संवाद होता था। जब भी कवि अपने घर लौटता, तो सबसे पहले उसकी नजर उस पुराने वृक्ष पर पड़ती। कवि को ऐसा महसूस होता कि वृक्ष उससे पूछ रहा है, “तुम कौन हो?” इस पर कवि जवाब देता, “मैं तुम्हारा दोस्त हूँ।” इस संवाद के माध्यम से कवि और वृक्ष के बीच एक गहरा संबंध बन जाता है, जिसमें कवि वृक्ष के साथ बैठकर पर्यावरण और भविष्य में आने वाले खतरों पर चिंतन करता है।
प्रश्न 3: कविता का समापन करते हुए कवि अपने किन अंदेशों का जिक्र करता है और क्यों?
उत्तर:
कविता के अंत में कवि पर्यावरण, मानवता और सभ्यता के प्रति अपनी चिंता व्यक्त करता है। उसे लगता है कि आज के समाज में वृक्षों की कटाई, पर्यावरण का विनाश, और सभ्यता का ह्रास हो रहा है। कवि को अंदेशा है कि अगर हम ऐसे ही चलते रहे, तो आने वाले समय में हमारी प्राचीन सभ्यता और मानवता को गंभीर खतरा हो सकता है। इसलिए वह चेतावनी देता है कि हमें इस विनाशकारी प्रवृत्ति से सावधान रहना होगा और पर्यावरण और सभ्यता की रक्षा के लिए आगे आना होगा।
प्रश्न 4: घर, शहर और देश के बाद कवि किन चीजों को बचाने की बात करता है और क्यों?
उत्तर:
घर, शहर और देश के बाद कवि नदियों, हवा, भोजन, जंगल और मनुष्यता को बचाने की बात करता है। नदियाँ, हवा और भोजन जीवनदायक तत्व हैं, जिनके बिना जीवन की कल्पना असंभव है। जंगल पर्यावरण का आधार हैं, जो प्राकृतिक संतुलन बनाए रखते हैं। अगर इनकी रक्षा नहीं की गई, तो पर्यावरण और मानव जीवन दोनों ही खतरे में पड़ जाएंगे। कवि यह भी कहता है कि हमें मनुष्यता और सभ्यता को बचाने की आवश्यकता है, ताकि मानव समाज में सद्भाव और नैतिकता बनी रहे। इन तत्वों के बिना मानव जीवन और सभ्यता का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है, इसलिए इनकी रक्षा करना अत्यंत आवश्यक है।
प्रश्न 5: कविता की प्रासंगिकता पर विचार करते हुए एक टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
कवि कुंवर नारायण द्वारा रचित ‘एक वृक्ष की हत्या’ कविता आज के युग में अत्यधिक प्रासंगिक है। यह कविता पर्यावरण के प्रति हमारी अनदेखी और वृक्षों के अंधाधुंध कटाई पर ध्यान आकर्षित करती है। आज के समय में, वृक्षों को काटकर कंक्रीट के जंगलों का निर्माण हो रहा है, जिससे न केवल पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है, बल्कि मानवता भी संकट में है। वृक्ष हमारे जीवन के अभिन्न अंग हैं, वे हमें ऑक्सीजन देते हैं, पर्यावरण को सुरक्षित रखते हैं, और प्रकृति के संतुलन को बनाए रखते हैं।
कवि इस कविता के माध्यम से यह संदेश देना चाहते हैं कि अगर हम वृक्षों को इस तरह काटते रहे, तो जल्द ही हमारी दुनिया मरुस्थल में बदल जाएगी। वृक्षों का नष्ट होना मानवता का नष्ट होना है, क्योंकि वृक्ष ही हमें जीवन देते हैं। इसके अलावा, कवि यह भी बताते हैं कि मनुष्य की बढ़ती निष्ठुरता और स्वार्थी प्रवृत्ति से न केवल पर्यावरण को, बल्कि पूरी सभ्यता को खतरा है। अगर हम समय रहते सचेत नहीं हुए और प्रकृति की ओर नहीं मुड़े, तो हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ और सुरक्षित दुनिया की कल्पना करना असंभव हो जाएगा।
प्रश्न 6: व्याख्या करें:
(क) “दूर से ही ललकारता, कौन? / मैं जवाब देता, ‘दोस्त’।”
उत्तर:
यह पंक्ति ‘एक वृक्ष की हत्या’ कविता से ली गई है। इसमें कवि और वृक्ष के बीच एक संवाद को दर्शाया गया है। जब कवि अपने घर लौटता है, तो उसे ऐसा लगता है कि उसके घर के सामने खड़ा वृक्ष उससे पूछ रहा है कि “तुम कौन हो?” कवि इस सवाल का जवाब “मैं तुम्हारा दोस्त हूँ” कहकर देता है। इस संवाद से कवि और वृक्ष के बीच गहरे भावनात्मक संबंध को दर्शाया गया है। कवि वृक्ष को एक जीवंत और संवेदनशील प्राणी के रूप में देखता है, जो उसके जीवन का अभिन्न हिस्सा है।
(ख) “बचाना है-जंगल को मरूस्थल हो जाने से / बचाना है-मनुष्य को जंगल हो जाने से।”
उत्तर:
यह पंक्ति कवि की गहरी चिंता को व्यक्त करती है। कवि कहते हैं कि हमें जंगलों को मरुस्थल में बदलने से बचाना है, क्योंकि जंगल पर्यावरण के संतुलन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यदि हम जंगलों को नष्ट कर देंगे, तो पर्यावरण असंतुलित हो जाएगा, जिससे जीवन के लिए आवश्यक संसाधनों का अभाव हो जाएगा।
इसके साथ ही, कवि मनुष्य को “जंगल” होने से भी बचाने की बात करते हैं। यहाँ “जंगल” शब्द का अर्थ है कि मनुष्य अपनी नैतिकता और मानवता को न खो दे। यदि मनुष्य स्वार्थी, निष्ठुर और अमानवीय प्रवृत्तियों का शिकार हो जाएगा, तो वह एक प्रकार से “जंगल” में तब्दील हो जाएगा। इसलिए, कवि हमें चेताते हैं कि हमें अपनी मानवता को बनाए रखना होगा और पर्यावरण की रक्षा के लिए संवेदनशील होना होगा।
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