Bihar Board Subject Hindi 10th Chapter 5 : बिहार बोर्ड कक्षा 10 गोधूलि भाग 2 के काव्य खंड पाठ 5. ‘भारतमाता’ जिसक रचना कबी ‘सुमित्रानंदन पन्त’ के द्वारा किया गया | आप इस आर्टिकल में कविता के अर्थों और कविता के साथ पूछे जाने वाली महत्पूर्ण सवालों को जानेगें जो आपको आपके परीक्षा में कभी ज्यादा मदद करने वाली हैं तो इस पोस्ट को अंत तक जरुर पढ़े और अपने दोस्तों के शेयर जरुर करें | अन्य सभी पाठ का लिंक निचे दिया गया है
सुमित्रानंदन पंत की कविता ‘भारतमाता’ में भारत को एक जीवंत और गौरवशाली माता के रूप में चित्रित किया गया है। कवि ने भारत के प्राकृतिक सौंदर्य, सांस्कृतिक धरोहर, और ऐतिहासिक महत्व का वर्णन करते हुए देशप्रेम की भावना को उभारा है। पंत ने भारतमाता को नदियों, पर्वतों, और वनस्पतियों से सजी हुई माता के रूप में देखा है, और भारतीयों से अपनी मातृभूमि की रक्षा और सम्मान बनाए रखने का आह्वान किया है। इस कविता में पंत ने गहन देशभक्ति और मातृभूमि के प्रति अटूट प्रेम को व्यक्त किया है।
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Bihar Board Subject Hindi 10th Chapter 5
Board Name | Bihar School Examination Board |
Class | 10th |
Subject | Hindi ( गोधूलि भाग-2 ) |
Chapter | भारतमाता |
Writer | सुमित्रानंदन पन्त |
Section | काव्य खंड |
Language | Hindi |
Exam | 2025 |
Last Update | Last Weeks |
Marks | 100 |
भारतमाता
कविता ‘भारतमाता’ के रचयिता सुमित्रानंदन पंत, हिंदी साहित्य के प्रमुख कवियों में से एक हैं, जो अपनी कोमल, संवेदनशील और प्रकृति से जुड़ी रचनाओं के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी रचनाओं में राष्ट्रीयता और देशप्रेम की भावना भी प्रमुखता से दिखाई देती है। ‘भारतमाता’ कविता में कवि ने भारत माता के सौंदर्य, महिमा और गौरव का वर्णन किया है।
कविता का सारांश:
कविता ‘भारतमाता’ में सुमित्रानंदन पंत ने भारत को एक जीवंत, दिव्य और गौरवशाली माता के रूप में चित्रित किया है। कवि ने भारत माता के प्राकृतिक सौंदर्य, सांस्कृतिक विविधता, और ऐतिहासिक गौरव को अत्यंत प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया है।
कवि ने भारत को नदियों, पर्वतों, और वनस्पतियों से सजी हुई माता के रूप में देखा है, जो अपनी संतानों को अद्भुत प्राकृतिक धरोहर और समृद्ध संस्कृति का उपहार देती है। इस कविता में पंत ने भारत के धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को भी उजागर किया है। उन्होंने भारत को तप, त्याग, और मानवता के आदर्शों का पालक बताया है, जो विश्व को सदैव शांति, प्रेम, और आध्यात्मिकता का मार्ग दिखाती रही है।
कवि ने भारतीयों से यह आह्वान किया है कि वे अपनी मातृभूमि की रक्षा करें और उसकी महानता को बनाए रखने के लिए सदैव तत्पर रहें। भारतमाता की गरिमा, उसके सौंदर्य और उसकी अनमोल धरोहर को कवि ने इस कविता में अत्यंत प्रभावशाली और प्रेरणादायक ढंग से व्यक्त किया है।
पाठ की विशेषताएँ:
- देशप्रेम: कविता में कवि ने गहन देशप्रेम की भावना को उकेरा है। वह भारतमाता के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति को सुंदर शब्दों में व्यक्त करते हैं।
- प्राकृतिक सौंदर्य: कवि ने भारत के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन करते हुए उसे माता का रूप दिया है, जिसमें नदियाँ उसकी बाहें, पर्वत उसका मस्तक, और वन उसकी साड़ी की तरह हैं।
- सांस्कृतिक महिमा: कवि ने भारत की सांस्कृतिक धरोहर, उसके धार्मिक महत्व, और उसकी ऐतिहासिक गरिमा को अत्यंत प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया है।
- प्रेरणा: कविता भारतीयों को अपनी मातृभूमि की रक्षा करने और उसके गौरव को बनाए रखने के लिए प्रेरित करती है।
‘भारतमाता’ कविता में सुमित्रानंदन पंत ने भारत के प्रति अपने अटूट प्रेम, सम्मान, और गर्व को बहुत ही सुंदर और भावनात्मक तरीके से व्यक्त किया है, जो पाठकों को देशभक्ति की भावना से भर देता है।
भारतमाता से संबंधित महत्पूर्ण सवालों के जवाब
Bihar Board Class 10 Hindi: ‘भारत माता’ कविता का सारांश और महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर
सारांश:
सुमित्रानंदन पंत द्वारा रचित कविता ‘भारत माता’ में कवि ने भारत को एक आदर्श मातृभूमि के रूप में चित्रित किया है। कवि ने भारतमाता के गौरवशाली अतीत, उसकी प्राकृतिक सुंदरता, और सांस्कृतिक धरोहर को जीवंतता से वर्णित किया है। लेकिन कवि इस बात पर भी ध्यान आकर्षित करते हैं कि कैसे पराधीनता और विदेशी आक्रमणों ने इस गौरवशाली देश को दुर्बल और दुखी बना दिया है। भारतमाता, जो कभी सुसंपन्न और सुसंस्कृत थी, अब उदास और मायूस दिखाई देती है। कवि ने इस कविता के माध्यम से भारतवासियों के प्रति देशप्रेम, स्वाभिमान और अपनी संस्कृति के प्रति निष्ठा को जागृत करने का प्रयास किया है।
प्रश्न 1: कविता के प्रथम अनुच्छेद में कवि भारतमाता का कैसा चित्र प्रस्तुत करता है?
उत्तर:
कविता के प्रथम अनुच्छेद में कवि ने भारतमाता का एक धूल-धूसरित और उदासीन चित्र प्रस्तुत किया है। वह पहले की शस्य-श्यामला, सम्पन्न और प्रसन्न नहीं रही। कवि के अनुसार, गंगा-यमुना के निर्मल जल अब प्रदूषित हो चुके हैं, और भारतमाता का आँचल, जो कभी पवित्र था, अब मैला हो गया है। यह मातृभूमि अब अपने ही घर में दुखी और पराजित नजर आ रही है।
प्रश्न 2: भारतमाता अपने ही घर में प्रवासिनी क्यों बनी हुई है?
उत्तर:
भारतमाता अपने ही घर में प्रवासिनी इसलिए बनी हुई है क्योंकि देश पर अंग्रेजों का शासन था। अंग्रेजी हुकूमत के तहत, भारत के लोगों को अपने ही देश में गुलामी का जीवन व्यतीत करना पड़ रहा था। पराधीनता ने भारतमाता को अपने ही घर में बेगाना बना दिया था। वह अपने पुत्रों पर हो रहे अत्याचारों को देखते हुए भी कुछ करने में असमर्थ थी। इस परतंत्रता की बेड़ियों ने उसे अपने ही घर में प्रवासिनी बना दिया।
प्रश्न 3: कविता में कवि भारतवासियों का कैसा चित्र खींचता है?
उत्तर:
कवि ने परतंत्र भारतवासियों का चित्रण बहुत ही मार्मिक ढंग से किया है। अंग्रेजों के शोषण के कारण, जो देश कभी समृद्ध और संस्कारित था, वह अब गरीबी, मूढ़ता और अशिक्षा की चपेट में आ गया है। कवि ने भारतीयों को भूखे, नंगे और दीन-हीन अवस्था में दिखाया है, जो वृक्षों के नीचे जीवन बिता रहे हैं। इन दयनीय हालातों ने भारतवासियों को असभ्य और निर्बल बना दिया है।
प्रश्न 4: भारत माता का ह्रास भी राहुग्रसित क्यों दिखाई पड़ता है?
उत्तर:
कवि ने भारतमाता के ह्रास को राहुग्रसित चंद्रमा से तुलना की है। जिस तरह चंद्रमा को राहु ग्रसित कर लेता है, वैसे ही भारतमाता भी विदेशी आक्रमणों और शोषण से ग्रसित हो गई है। विदेशी आक्रमणकारियों ने इस पवित्र धरती को बार-बार लूटा, जिससे इसका गौरव और यश धूमिल हो गया। इस कारण भारतमाता का ह्रास राहुग्रसित चंद्रमा की तरह प्रतीत होता है।
भाव-सौंदर्य:
इस कविता में सुमित्रानंदन पंत ने भाषा के माध्यम से भारतमाता की दयनीय स्थिति को चित्रित किया है। कविता में गहन देशप्रेम, मातृभूमि के प्रति श्रद्धा और स्वतंत्रता की आकांक्षा स्पष्ट रूप से झलकती है। कवि ने भारतीय जनता को जागरूक और संगठित होकर अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए प्रेरित करने का प्रयास किया है।
यह सारांश और प्रश्नों के उत्तर आपके अध्ययन और परीक्षा की तैयारी के लिए मददगार साबित होंगे।
बिहार बोर्ड कक्षा 10 हिंदी: ‘भारत माता’ कविता की विशेषताएँ और प्रश्नों के उत्तर
प्रश्न 5: कवि भारतमाता को गीता प्रकाशिनी मानकर भी ज्ञान मूढ़ क्यों कहता है?
उत्तर:
कवि सुमित्रानंदन पंत ने भारतमाता को ‘गीता प्रकाशिनी’ कहकर उसकी प्राचीन और पवित्र धरोहर का सम्मान किया है, क्योंकि भारत ने सदियों से सत्य, अहिंसा, मानवता और सहिष्णुता जैसे उच्च आदर्शों को संसार में फैलाया है। लेकिन वर्तमान समय में, कवि को लगता है कि यह ज्ञान और प्रकाश अब धूमिल हो गया है। अज्ञानता, अंधविश्वास, और सामाजिक बुराइयों का साम्राज्य चारों ओर फैल चुका है। भारतमाता, जो कभी ज्ञान का प्रकाश फैलाती थी, आज अज्ञानता और मूढ़ता के अंधकार में घिरी हुई है। इसलिए कवि इसे ‘ज्ञान मूढ़’ कहता है।
प्रश्न 6: कवि की दृष्टि में आज भारतमाता का तप-संयम क्यों सफल है?
उत्तर:
कवि की दृष्टि में, भारतमाता का तप-संयम इसलिए सफल है क्योंकि विदेशी आक्रमणों और शोषण के बावजूद, भारत की सहनशीलता और अहिंसा का सिद्धांत बरकरार है। भारतमाता ने अपने संतान को वसुधैव कुटुंबकम् की शिक्षा दी है, जो आज भी भारतीय समाज में जीवित है। कठिनाइयों के बावजूद, भारतमाता के संतान सहिष्णु बने हुए हैं, और यह उसकी तपस्या का ही फल है कि भारत आज भी अपने आदर्शों पर कायम है।
प्रश्न 7: व्याख्या करें
(क) स्वर्ण शस्य पर पद-तल-लुंठित, धरती-सा सहिष्णु मन कुंठित
उत्तर:
यह पंक्ति सुमित्रानंदन पंत द्वारा रचित कविता ‘भारत माता’ से ली गई है। इसमें कवि ने पराधीन भारत का चित्रण किया है। भारत की उर्वर धरती पर सुनहरी फसल उगती है, लेकिन परतंत्रता के कारण यह फसल दूसरों के पैरों तले कुचली जाती है। धरती के समान सहिष्णु, लेकिन कुंठित मन की भावना को कवि ने व्यक्त किया है, जो गुलामी की बेड़ियों में जकड़े भारत के दयनीय हालात को दर्शाता है।
(ख) चिंतित भृकुटि क्षितिज तिमिरांकित, नमित नयन नम वाष्पाच्छादित
उत्तर:
यह पंक्ति भी सुमित्रानंदन पंत की कविता ‘भारत माता’ से ली गई है। इसमें कवि ने भारतमाता का मानवीकरण करते हुए उसकी चिंतित और दुखी स्थिति को दर्शाया है। गुलामी के अंधकार ने भारतमाता की आँखों में चिंता और दुख भर दिया है। उसकी भृकुटि चिंता से भरी हुई है, और उसकी आँखें आँसुओं से नम हैं। ये आँसू वाष्प बनकर पूरे आकाश को ढक लेते हैं, जो पराधीनता के कारण भारतमाता की दुःखद अवस्था को प्रकट करते हैं।
प्रश्न 8: कवि भारतमाता को गीता प्रकाशिनी मानकर भी ज्ञानमूढ़ क्यों कहता है?
उत्तर:
कवि सुमित्रानंदन पंत भारत को ‘गीता प्रकाशिनी’ कहते हैं, क्योंकि यह देश प्राचीन काल से ही वेद, वेदांग, और दर्शन जैसे ज्ञान का स्रोत रहा है। ‘गीता’ के माध्यम से भारत ने मानवता को कर्म, धर्म, और जीवन के गूढ़ रहस्यों का ज्ञान दिया है। लेकिन पराधीनता और विदेशी शोषण के कारण भारत की स्थिति ऐसी हो गई है कि यहां के लोग अपने ज्ञान और दिशा से भटक गए हैं। उन्होंने अपनी आत्मनिर्भरता खो दी है और परावलंबी बन गए हैं। इसीलिए, कवि को लगता है कि ज्ञान का इतना बड़ा प्रकाश होते हुए भी आज भारतमाता ‘ज्ञानमूढ़’ बन गई है, क्योंकि देश के लोग अपने गौरवशाली अतीत और ज्ञान को भूल चुके हैं।
प्रश्न 9: भारतमाता कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर:
कवि सुमित्रानंदन पंत की कविता ‘भारतमाता’ में भारत के प्राचीन गौरव और वर्तमान दुर्दशा का चित्रण किया गया है। पहले यह देश धन, धर्म, और ज्ञान में अग्रणी था, लेकिन आज यह बदला हुआ और दीन-हीन हो गया है। कवि ने भारत का मानवीकरण करते हुए उसे एक उदास, धूल-धूसरित मातृभूमि के रूप में चित्रित किया है, जो गाँवों में निवास करती है।
भारत की नदियाँ जैसे गंगा और यमुना, जो कभी पवित्रता की प्रतीक थीं, आज मानो भारतमाता की आँखों से बहते आँसू बन गई हैं। देश की स्थिति ऐसी हो गई है कि इसके तीस करोड़ पुत्र (तब की आबादी) नंगे, भूखे, अशिक्षित और शोषित हैं। भारतमाता अपने ही घर में बेगानी हो गई है, उसके पास सब कुछ होते हुए भी कुछ नहीं है, क्योंकि देश पर विदेशियों का अधिकार है।
कविता में भारतमाता के चिंतित और उदास रूप को दर्शाया गया है, जो राहु द्वारा ग्रसित शरद चंद्रमा की तरह प्रतीत होती है। हालांकि, कवि को उम्मीद है कि भारतमाता की तपस्या और संयम सफल होंगे, और यह देश फिर से अपने मूल्यों और आदर्शों पर खड़ा होकर नया जीवन प्राप्त करेगा।
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