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Free { काव्यखंड } Bihar Board Subject Hindi 10th Chapter 11 : लौटकर आऊंगा फिर

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Table of Contents

Bihar Board Subject Hindi 10th Chapter 11 : बिहार बोर्ड कक्षा 10 विषय हिंदी गोधूलि भाग 2 काव्य खंड के पाठ 11. ‘लौटकर आऊंगा फिर’ के लेखक ‘जीवनानंद दास’ के द्वारा लिखा गया है आप इस आर्टिकल में इस कविता के अर्थ और पाठ के अनुसार पूछे गए सभी सवालों को जानेगें |

जीवनानंद दास (1899-1954) बांग्ला साहित्य के प्रमुख कवि थे। उनकी कविता ‘लौटकर आऊंगा फिर’ जीवन की अस्थिरता और पुनरागमन की संभावना को दर्शाती है। वे अपने साहित्य में संवेदनशीलता और गहराई के लिए जाने जाते हैं, और उनकी कविताएँ व्यक्तिगत अनुभवों और भावनाओं को विशेष रूप से छूने का प्रयास करती हैं। उनकी रचनाएँ बांग्ला साहित्य में नवीन प्रयोगों और शिल्प की खोजों का उदाहरण हैं।

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Bihar Board Subject Hindi 10th Chapter 11

Board NameBihar School Examination Board
Class10th
SubjectHindi ( गोधूलि भाग-2 )
Chapterलौटकर आऊंगा फिर
Writerजीवनानंद
Sectionकाव्य खंड
LanguageHindi
Exam2025
Last UpdateLast Weeks
Marks100

लौटकर आऊंगा फिर

पाठ 11: ‘लौटकर आऊंगा फिर’ के लेखक: जीवनानंद दास

जीवनानंद दास (1899-1954) बांग्ला साहित्य के प्रमुख कवि और लेखकों में से एक थे। वे आधुनिक बांग्ला कविता के एक महत्वपूर्ण हस्ताक्षर थे और उनके काव्य-साहित्य में नये दृष्टिकोण और शिल्प की झलक मिलती है।

जीवनानंद दास का जन्म बांग्ला में हुआ और उनका साहित्यिक योगदान न केवल बांग्ला साहित्य में, बल्कि भारतीय साहित्य में भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनके काव्य में जीवन की जटिलताओं, सामाजिक और व्यक्तिगत समस्याओं को एक गहरे और संवेदनशील दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया गया है। उनकी कविताएँ साधारण जीवन की गहराई और सूक्ष्मता को उजागर करती हैं और व्यक्ति की आंतरिक दुनिया को छूने का प्रयास करती हैं।

उनकी कविताओं में स्वप्न और वास्तविकता, प्रकृति और व्यक्ति, जीवन और मृत्यु के बीच का संघर्ष प्रमुख विषय हैं। उनका लेखन अक्सर व्यक्तिगत अनुभवों और संवेदनाओं पर आधारित होता है, और वे अपने पाठकों को गहराई से सोचने और महसूस करने के लिए प्रेरित करते हैं।

‘लौटकर आऊंगा फिर’ उनकी काव्य-शृंगारी काव्य-भाषा और कल्पनाशीलता का प्रमाण है। इस कविता में उन्होंने जीवन की अस्थिरता और अज्ञात भविष्य की ओर संकेत करते हुए, पुनरागमन की संभावना और उससे जुड़े भावनात्मक और दार्शनिक पहलुओं को छुआ है।

जीवनानंद दास की कविताओं में बांग्ला साहित्य के नवीनतम प्रयोगों और शिल्प-संबंधी खोजों की झलक मिलती है, जो उन्हें अपने समय के अन्य लेखकों से अलग बनाती है। उनका काम न केवल उनकी पीढ़ी के लिए बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत रहा है।

लौटकर आऊंगा फिर से संबधित प्रश्न उत्तर ]

‘लौटकर आऊंगा फिर’ कविता – Bihar Board Class 10 Hindi

प्रश्न 1: कवि किस तरह के बंगाल में एक दिन लौटकर आने की बात करता है?

उत्तर: कवि बंगाल की उस प्राकृतिक छटा में लौटकर आने की बात करता है, जहाँ धान के हरे-भरे खेत, नदियाँ, कोहरे से ढकी फसलें और कटहल की छाया सुखद वातावरण प्रस्तुत करते हैं। कवि उस बंगाल को याद करता है जहाँ घास के मैदान, कपास के पेड़, वनों में पक्षियों की चहचहाहट और सारस की शोभा है। यह अनुपम और रमणीय धरती कवि के दिल में बसी हुई है, और वह पुनर्जन्म लेकर भी यहाँ आकर इसके सौंदर्य को फिर से देखने की इच्छा व्यक्त करता है।

प्रश्न 2: कवि अगले जीवन में क्या-क्या बनने की संभावना व्यक्त करता है और क्यों?

उत्तर: कवि मातृभूमि के प्रति अपनी गहरी प्रेमभावना को दर्शाते हुए अगले जीवन में चिड़ियाँ, कौवा, हंस, उल्लू, या सारस बनने की संभावना व्यक्त करता है। कवि का मानना है कि भले ही उसका रूप बदल जाएगा, लेकिन मातृभूमि की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद वह किसी भी रूप में प्राप्त कर सकेगा। इस प्रकार, कवि अपने प्रेम के माध्यम से मातृभूमि की सौंदर्य की अनुभूति को अगले जीवन में भी बनाए रखना चाहता है।

प्रश्न 3: अगले जन्मों में बंगाल में आने की क्या सिर्फ कवि की इच्छा है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: अगले जन्मों में बंगाल में लौटने की इच्छा केवल कवि की व्यक्तिगत चाहत नहीं है। यह इच्छा बंगाल प्रेमियों की व्यापक भावना को भी दर्शाती है। कवि के माध्यम से यह संदेश मिलता है कि वे केवल अपनी व्यक्तिगत भावना को व्यक्त नहीं कर रहे, बल्कि उन लोगों की भावनाओं का प्रतिनिधित्व भी कर रहे हैं जो बंगाल की धरती के प्रति आस्था और प्रेम रखते हैं। इस कविता के माध्यम से कवि बंगाल की धरती के प्रति अपने उत्कट प्रेम को और बंगाल प्रेमियों की भावना को व्यक्त करते हैं।

प्रश्न 4: कवि किनके बीच अंधेरे में होने की बात करता है? आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: कवि अंधेरे में सारस के बीच होने की बात करता है। विशेषकर संध्या के समय, जब अंधेरा धीरे-धीरे फैलता है और सारस के झुंड अपने घोंसलों की ओर लौटते हैं, तो यह दृश्य कवि को अत्यंत आकर्षक और सुंदर लगता है। यह दृश्य न केवल आँखों को भाता है बल्कि कवि के दिल को भी छू जाता है। कवि इस अद्भुत और मनमोहक दृश्य को अगले जन्म में भी देखने की इच्छा व्यक्त करता है।

Class 10 Hindi Poem Bihar Board

प्रश्न 5: कविता की चित्रात्मकता पर प्रकाश डालिए।

उत्तर: कविता की चित्रात्मकता प्रकृति के विविध दृश्यात्मक चित्रण के माध्यम से प्रकट होती है। कवि ने धान के हरे-भरे खेत, कटहल की छाया, हवा से झूलती टहनियाँ, और आकाश में उड़ते उल्लू और संध्या के समय लौटते सारस के झुंड के चित्र प्रस्तुत किए हैं। इन चित्रों के माध्यम से कविता में प्राकृतिक सौंदर्य और शांति की एक जीवंत छवि उभरती है, जो पाठक के मन को आकर्षित करती है और एक चित्रमयी अनुभव प्रदान करती है।

प्रश्न 6: कविता में आए बिंबों का सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: कविता में बिंबों का सौंदर्य प्राकृतिक सौंदर्य की चित्रमयी अभिव्यक्ति से स्पष्ट होता है। कवि ने बंगाल की नवयुवतियों के पैरों में घुघरू बाँधने, हवा के झोंके को झूला के रूप में प्रस्तुत करने, और आकाश में हंसों के झुंड को अनुपम सौंदर्य के रूप में चित्रित किया है। ये बिंब न केवल दृश्यात्मक सौंदर्य को दर्शाते हैं, बल्कि कविता में एक जीवंत और आकर्षक चित्रण प्रस्तुत करते हैं।

प्रश्न 7: कविता के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: ‘लौटकर आऊंगा फिर’ शीर्षक कविता की केंद्रीय भावना को संपूर्णता से व्यक्त करता है। यह शीर्षक कवि की मातृभूमि के प्रति गहरी प्रेम और पुनर्जन्म की उत्कट इच्छा को दर्शाता है। शीर्षक सार्थक है क्योंकि यह कविता के विषय-वस्तु को स्पष्ट करता है—कवि का मातृभूमि पर पुनर्जन्म लेने की चाहत। यह शीर्षक कविता की भावनाओं और उद्देश्य को केंद्रित करता है, जिससे कविता का सार प्रकट होता है।

प्रश्न 8: कवि अगले जन्म में अपने मनुष्य होने में क्यों संदेह करता है? क्या कारण हो सकता है?

उत्तर: कवि को अगले जन्म में मनुष्य होने में संदेह होता है क्योंकि वह मानता है कि मनुष्य जीवन अक्सर ईर्ष्या, कटुता और आपसी विद्वेष से भरा होता है। मानवता की कमी और समाज की दयनीय स्थिति के कारण वह पक्षियों को अधिक स्वतंत्र और सुखद मानता है। कवि की चिंता है कि मनुष्यता की जटिलताओं और समाज की कठिनाइयों से बचने के लिए पक्षियों का जीवन उत्तम है, इसलिए वह अपने पुनर्जन्म में पक्षियों के रूप में लौटने की इच्छा व्यक्त करता है।

प्रश्न 9: व्याख्या करें

(क) “बनकर शायद हँस मैं किसी किशोरी का; धुंघरू लाल पैरों में; तैरता रहूँगा बल दिन-दिन भर पानी में- गंध जहाँ होनी ही भरी, घास की।”

उत्तर: इस अंश में कवि अपने अगले जन्म में हंस बनने की इच्छा व्यक्त करता है। वह कल्पना करता है कि वह किसी किशोरी के रूप में, जो अपने पैरों में घुघरू बाँधकर नृत्य करती है, हंस बनकर तैरता रहेगा। यहाँ हंस के माध्यम से कवि उस सुंदरता और आनंद का अनुभव करना चाहता है जो बंगाल की हरी-भरी घास की गंध और पानी में तैरने से मिलती है। कवि का यह चित्रण उसकी मातृभूमि बंगाल के प्रति गहरी प्रेमभावना और एकात्मता को दर्शाता है।

(ख) “खेत हैं जहाँ धान के, बहती नदी के किनारे फिर आऊँगा लौटकर एक दिन-बंगाल में;”

उत्तर: इस अंश में कवि की मातृभूमि बंगाल के प्रति गहरा प्रेम और लगाव प्रकट होता है। वह भविष्य में फिर से बंगाल लौटने की इच्छा व्यक्त करता है, जहाँ धान के हरे-भरे खेत और बहती नदियाँ उसकी स्मृतियों में बसी हुई हैं। कवि इस भूमि की प्राकृतिक सुंदरता और शांतिपूर्ण वातावरण की प्रशंसा करता है और अपने अगले जन्म में भी उसी भूमि पर जन्म लेकर उसकी सौंदर्य की अनुभूति करना चाहता है।

प्रश्न 10: ‘लौटकर आऊँगा फिर’ कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखें।

उत्तर: ‘लौटकर आऊँगा फिर’ कविता जीवनानंद दास की एक प्रसिद्ध रचना है जिसमें कवि अपनी मातृभूमि बंगाल के प्रति गहरा प्रेम और भावनाएँ व्यक्त करता है। कवि बंगाल की प्राकृतिक सुंदरता—धान के खेत, बहती नदियाँ, हरी घास की गंध, और शांति को चित्रित करता है। वह अगले जन्म में हंस, कौआ, या किसी अन्य रूप में लौटने की इच्छा करता है ताकि वह फिर से इन प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले सके। कवि मानता है कि चाहे वह किसी भी रूप में लौटे, वह अपनी मातृभूमि के प्रति अपने प्रेम और अपनत्व को कायम रखेगा। कविता में कवि अंधेरे और दुख-दर्द के संदर्भ में भी बात करता है, जो बंगाल की सामाजिक और आर्थिक समस्याओं को छूता है। इस प्रकार, कविता मातृभूमि के प्रति गहरी भावनाओं और प्राकृतिक सौंदर्य के माध्यम से कवि की स्वच्छंदता और प्रेम को प्रकट करती है।

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