Bihar Board Subject Hindi 10th Chapter 10 : बिहार बोर्ड विषय हिंदी गोधूलि भाग 2 के काव्य खंड के पाठ 10. ‘अक्षर-ज्ञान’ जिसकी रचना ‘अनामिका’ द्वारा किया गया हैं | आप इस आर्टिकल में इस कविता का रथ और कुछ महत्पूर्ण सवालों के बारें में विस्तार से जंगें जो आपको आपके मैट्रिक की परीक्षा में कभी मदद करना वाली हैं |
अक्षर-ज्ञान कविता, जिसे अनामिका ने रचा है, शिक्षा और ज्ञान की महत्ता को सरल तरीके से प्रस्तुत करती है। इस कविता में अनामिका ने वर्णमाला के अक्षरों के माध्यम से जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझाने की कोशिश की है। अक्षर-ज्ञान केवल भाषा सीखने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह जीवन के मूल्यों, संस्कारों, और संस्कृतियों को भी सिखाने का मार्ग है। कविता यह संदेश देती है कि अक्षर हमें अपने अधिकारों और कर्तव्यों का ज्ञान कराते हैं, और सही मायनों में हमें इंसान बनाते हैं।
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Bihar Board Subject Hindi 10th Chapter 10
Board Name | Bihar School Examination Board |
Class | 10th |
Subject | Hindi ( गोधूलि भाग-2 ) |
Chapter | अक्षर -ज्ञान |
Writer | विरेन डंगवाल |
Section | काव्य खंड |
Language | Hindi |
Exam | 2025 |
Last Update | Last Weeks |
Marks | 100 |
अक्षर-ज्ञान
अक्षर-ज्ञान
रचयिता: अनामिका
विवरण:
‘अक्षर-ज्ञान’ कविता अनामिका द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण और विचारोत्तेजक काव्य है, जो बिहार बोर्ड कक्षा 10 के हिंदी पाठ्यक्रम में शामिल है। यह कविता एक सामान्य विषय पर गहराई से विचार करती है—शिक्षा और अक्षरज्ञान का महत्व। अनामिका इस कविता के माध्यम से शिक्षा के मूल्यों, इसके प्रभाव, और समाज में इसके योगदान को दर्शाती हैं।
कविता में कवयित्री ने अक्षरज्ञान को जीवन का आधार माना है। वह कहती हैं कि अक्षरज्ञान वह पहली सीढ़ी है, जो व्यक्ति को अज्ञानता के अंधकार से निकालकर ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाती है। इस कविता में शिक्षा को केवल पढ़ाई या डिग्री तक सीमित नहीं किया गया है, बल्कि इसे जीवन का सर्वांगीण विकास माना गया है।
अर्थ:
कविता के अनुसार, अक्षरज्ञान व्यक्ति को सोचने, समझने, और अपने जीवन को सही दिशा में आगे बढ़ाने की क्षमता प्रदान करता है। अनामिका ने समाज के उन वर्गों का भी उल्लेख किया है, जो शिक्षा से वंचित हैं, और इस कारण से वे कई प्रकार के शोषण और कठिनाइयों का सामना करते हैं।
अक्षरज्ञान न केवल व्यक्ति को पढ़ने-लिखने की क्षमता देता है, बल्कि उसे आत्मनिर्भर, आत्मविश्वासी, और समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनने में भी सहायता करता है। अनामिका इस कविता के माध्यम से यह संदेश देती हैं कि शिक्षा ही वह शक्ति है, जो व्यक्ति को अपनी परिस्थिति से उबरने और अपने जीवन को सुधारने की प्रेरणा देती है।
कुल मिलाकर, ‘अक्षर-ज्ञान’ कविता शिक्षा के महत्व को समझाने वाली एक प्रेरणादायक रचना है, जो समाज के हर वर्ग को शिक्षा के प्रति जागरूक होने और इसे अपने जीवन का अनिवार्य हिस्सा बनाने की प्रेरणा देती है।
अक्षर-ज्ञान से संबंधित महत्पूर्ण सवाल
यहाँ पर प्रश्नों के उत्तरों को अधिक उन्नत और विचारशील ढंग से लिखा गया है:
प्रश्न 1: कविता में तीन उपस्थितियां हैं। स्पष्ट करें कि वे कौन-कौन सी हैं?
उत्तर:
कविता में तीन प्रमुख उपस्थितियां हैं: प्रवेश, बोध, और विकास।
- प्रवेश: यह वह चरण है जहां एक बच्चा अक्षर-ज्ञान की प्रक्रिया में प्रवेश करता है। यहां, अक्षर सीखने की प्रारंभिक अवस्था होती है, जहां अक्षरों की रेखाएं और ध्वनियां बच्चे के मन में अंकित होती हैं।
- बोध: इस अवस्था में, बच्चा अक्षरों का गहरा बोध प्राप्त करता है। वह अब अक्षरों के पीछे छिपे अर्थ और उनके उपयोग को समझने लगता है। यह बोध एक स्थायी समझ की नींव रखता है।
- विकास: अंतिम चरण में, बच्चा ज्ञान के इस प्रारंभिक बिंदु से आगे बढ़ता है। वह अक्षरों को जोड़कर शब्दों का निर्माण करता है और धीरे-धीरे भाषा में प्रवीण हो जाता है। यह विकास, बच्चे को जीवन में आगे बढ़ने और सामाजिक तथा व्यक्तिगत जीवन में योगदान करने के लिए तैयार करता है।
प्रश्न 2: कविता में ‘क’ का विवरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘क’ कविता में प्रारंभिक अक्षर के रूप में चित्रित किया गया है, जो ज्ञान की यात्रा का पहला कदम है। कवयित्री इस अक्षर को एक प्रतीक के रूप में उपयोग करती हैं, जो जीवन की कठिनाइयों और चुनौतियों का प्रतिनिधित्व करता है। ‘क’ का सीखना, बच्चे के लिए एक नए संसार का द्वार खोलता है, जहां कर्म पथ पर आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। ‘क’ को ‘कबूतर’ के रूप में देखा गया है, जो स्वतंत्रता, शांति और उड़ान की आकांक्षा का प्रतीक है। यह अक्षर बच्चे के जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ का संकेत है, जहां वह पहली बार ज्ञान की दुनिया में प्रवेश करता है।
प्रश्न 3: खालिस बेचैनी किसकी है? बेचैनी का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
‘खालिस बेचैनी’ यहाँ पर बच्चे की सीखने की उत्कंठा और जिज्ञासा को दर्शाती है, जो ‘ख’ अक्षर सीखने के समय उत्पन्न होती है। इस बेचैनी का अभिप्राय यह है कि बच्चा नए ज्ञान के प्रति अत्यधिक उत्सुक है और वह इस प्रक्रिया में निरंतर आगे बढ़ना चाहता है। ‘ख’ के माध्यम से, कवयित्री ने इस बेचैनी को ‘खरगोश’ के रूप में व्यक्त किया है, जो अपनी फुर्ती और चंचलता के लिए जाना जाता है। इसी प्रकार, बच्चा भी जल्दी से सीखना चाहता है और आगे बढ़ना चाहता है। यह बेचैनी, बच्चे के अंदर विद्यमान उत्साह और जिज्ञासा का प्रतीक है, जो उसे नए ज्ञान के मार्ग पर प्रेरित करती है।
प्रश्न 4: बेटे के लिए ‘ङ’ क्या है और क्यों?
उत्तर:
बेटे के लिए ‘ङ’ उसकी माँ का प्रतीक है, जो उसे स्नेह और सांत्वना देती है। यह अक्षर उस समय का प्रतीक है जब बच्चा कठिनाइयों से थककर माँ की गोद में आराम पाता है। माँ की गोद में बैठकर वह अपनी चिंताओं और संघर्षों से कुछ समय के लिए मुक्त हो जाता है। यह स्थिरता और शांति का प्रतीक है, जहां बच्चा अपनी सीखने की यात्रा में एक विराम लेता है। माँ की तरह ‘ङ’ भी बच्चे के लिए सुरक्षा और आराम का स्रोत है, जो उसे फिर से ऊर्जा प्राप्त करने और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।
प्रश्न 5: बेटे को आँसू कब आते हैं और क्यों?
उत्तर:
बेटे को आँसू तब आते हैं जब वह ‘ङ’ अक्षर सीखने में कठिनाई का सामना करता है। यह उस अवस्था का प्रतीक है जब बच्चा सीखने की यात्रा में थकान और निराशा का अनुभव करता है। ‘क’ से ‘घ’ तक की यात्रा में, जब बच्चा ‘ङ’ पर पहुंचता है, तो उसे महसूस होता है कि यह एक कठिन चरण है। इस कठिनाई के कारण उसकी आँखों में आँसू आ जाते हैं। यह आँसू उसकी निराशा और संघर्ष का प्रतीक है, जो उसे सिखाता है कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए धैर्य और समर्पण की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 6: कविता के अंत में कवयित्री ‘शायद’ अव्यय का क्यों प्रयोग करती है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कविता के अंत में कवयित्री ‘शायद’ शब्द का प्रयोग करती हैं ताकि अक्षर-ज्ञान की प्रक्रिया और सृष्टि के विकास के बीच एक गहन संबंध को स्थापित किया जा सके। यह शब्द इस तथ्य को उजागर करता है कि शिक्षा और ज्ञान का विकास एक निरंतर प्रक्रिया है, जो सृष्टि के विकास के समान है। ‘शायद’ का उपयोग यह दर्शाता है कि यह प्रक्रिया निश्चित रूप से उसी प्रकार होती है, जैसे कि प्रकृति का विकास हुआ था। यह भी संकेत करता है कि शिक्षा और ज्ञान का मार्ग अनिश्चितताओं और चुनौतियों से भरा हुआ है, और इसे समझने के लिए एक खुले मन की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 7: कविता किस तरह एक सांत्वना और आशा जगाती है? विचार करें।
उत्तर:
कविता में कवयित्री ने अक्षर-ज्ञान की प्रक्रिया को एक संघर्षशील यात्रा के रूप में चित्रित किया है, जिसमें हर कदम पर कठिनाइयाँ आती हैं। लेकिन इन कठिनाइयों के बीच, माँ की ममता और सांत्वना एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह सांत्वना बच्चे के मन में आशा जगाती है, जिससे वह निरंतर प्रयास करने के लिए प्रेरित होता है। माँ की गोद में आराम पाकर बच्चा नई ऊर्जा के साथ फिर से सीखने के लिए तैयार हो जाता है। यह कविता, जीवन की चुनौतियों के बावजूद आगे बढ़ने और सफल होने की प्रेरणा देती है। संघर्ष के हर चरण में सांत्वना और आशा का यह प्रवाह बच्चे को आत्मविश्वास और धैर्य प्रदान करता है, जो अंततः उसकी सफलता की कुंजी बनती है।
प्रश्न 8: व्याख्या करें “गमले-सा टूटता हुआ उसका ‘ग’ घड़े-सा लुढ़कता हुआ उसका ‘घ’”
उत्तर:
इस पंक्ति में कवयित्री ने बच्चे की अक्षर-ज्ञान की यात्रा को चित्रात्मक रूप में प्रस्तुत किया है।
- ‘ग’ को गमले के रूप में देखा गया है, जो बहुत नाजुक होता है। जब बच्चा ‘ग’ सीखने का प्रयास करता है, तो यह अक्षर उसकी समझ से बाहर हो जाता है, जैसे एक गमला जो हल्के से झटके से टूट जाता है।
- ‘घ’ को घड़े के रूप में देखा गया है, जो लुढ़क जाता है। यह दर्शाता है कि बच्चा ‘घ’ सीखने के प्रयास में असफल हो जाता है और यह अक्षर उसकी पकड़ से छूट जाता है, जैसे एक घड़ा जो लुढ़ककर गिर जाता है।
यह पंक्ति बच्चे की प्रारंभिक अक्षर-ज्ञान की कठिनाइयों और संघर्षों को प्रतीकात्मक रूप से दर्शाती है, जहाँ उसकी नाजुक और अपरिपक्व समझ उसे बार-बार विफलताओं का सामना कराती है। लेकिन यह भी इंगित करती है कि इन विफलताओं के बावजूद, बच्चा सीखने के प्रयास में लगा रहता है।
प्रश्न 9: ‘अक्षर-ज्ञान’ कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर:
‘अक्षर-ज्ञान’ कविता में कवयित्री अनामिका ने बच्चे की अक्षर-ज्ञान की प्रारंभिक यात्रा को बड़े ही संवेदनशील और प्रतीकात्मक ढंग से प्रस्तुत किया है। कविता में माँ और बच्चे के बीच का संवाद और सीखने की प्रक्रिया को दर्शाया गया है, जिसमें माँ बच्चे को अक्षरों के सरल और प्रभावी तरीके से ज्ञान कराती है। बच्चे की इस यात्रा में उसे कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जैसे ‘क’ से लेकर ‘ङ’ तक के अक्षरों को सीखने में।
प्रत्येक अक्षर के साथ बच्चा एक नए अनुभव और संघर्ष का सामना करता है, जहाँ वह कभी सफल होता है और कभी विफल। विशेष रूप से ‘ङ’ के समय, बच्चे को अधिक कठिनाई होती है, जिससे उसकी आँखों में आँसू आ जाते हैं। लेकिन ये आँसू हार के नहीं, बल्कि और अधिक प्रयास करने की दृढ़ संकल्पना के होते हैं। इस प्रकार, कविता मानव जीवन की संघर्षशीलता और उसके विकास की कहानी को दर्शाती है। यह बताती है कि जीवन में हर संघर्ष और विफलता के बाद भी, आगे बढ़ने की आशा और संकल्प हमें सफलता की ओर ले जाता है। कविता का मूल संदेश है कि संघर्ष ही जीवन की वास्तविकता है, और यह संघर्ष ही हमें आगे बढ़ने और जीवन में सफल होने की प्रेरणा देता है।
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