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Bihar board hindi subject 10th class

{ Free } Bihar board hindi subject 10th class : Chapter (2.) -विष के दांत ( कहानी )

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Table of Contents

कक्षा 10वीं खंड के अध्याय 2. विष के दांत ( कहानी ) जो Bihar board hindi subject 10th class बुक के लिए गया है | यहाँ आप महत्पूर्ण सवाल विष के दांत ( कहानी ) के बारे जानेगे और महत्पूर्ण सवालों का अध्यन करेगें | जो आपको इस वर्ष की परीक्षा में कभी ज्यादा मदद करेगी आपको सफलता दिलाने में |

अध्याय का परिचय : बिहार बोर्ड की कक्षा 10वीं की हिंदी पाठ्यपुस्तक में अध्याय 2 का शीर्षक “विष के दांत” है। यह कहानी एक सामाजिक यथार्थवादी कहानी है जो मानवीय स्वभाव के गहरे पहलुओं को उजागर करती है। कहानी में लेखक ने समाज में व्याप्त कुछ गंभीर मुद्दों जैसे कि लोभ, लालच, और धोखे को बहुत ही प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया है।

सूचना : अगर आप कमजोर छात्र-छात्रा है तो आपके लिए हम लेकर आये है बिहार बोर्ड कक्षा 10वीं सभी विषयों का नोट्स PDF अनुभवी शिक्षकों के द्वारा तैयार किया गया | नोट्स PDF + VIP Group जिसमें आपको रोजाना महत्पूर्ण विषयों के ऑनलाइन टेस्ट लिए जायेगें | Download PDF Now

{ Free } Bihar board hindi subject 10th class : Chapter (2.) -विष के दांत ( कहानी )

Board NameBihar School Examination Board
Class10th
Chapterविष के दांत ( कहानी )
LanguageHindi
Exam2025
Last UpdateLast Weeks
Marks100

Chapter (2.) -विष के दांत ( कहानी )

कहानी का शीर्षक: “विष के दांत”

  • अर्थ: शीर्षक ही कहानी का मूल भाव प्रकट करता है। सांप के विषैले दांत की तरह, धन और लोभ भी इंसान को अंदर से खोखला कर देते हैं।
  • प्रतीकात्मकता: सांप को अक्सर लोभ और बुराई का प्रतीक माना जाता है। इस कहानी में भी सांप, धन के लालच को दर्शाता है।

पात्रों का विश्लेषण:

  • मुख्य पात्र: धनवान बनने की चाह रखने वाला व्यक्ति।
    • विशेषताएं: लोभी, लालची, अधीर।
    • विकास: कहानी के अंत तक वह अपने लालच के कारण निराश और हताश हो जाता है।
  • खजाने वाला व्यक्ति:
    • विशेषताएं: धोखेबाज, छल कपट करने वाला।
    • भूमिका: वह मुख्य पात्र को गुमराह करके अपना फायदा उठाता है।

कहानी का संदेश:

  • लोभ का दुष्परिणाम: कहानी हमें बताती है कि अत्यधिक लोभ इंसान को बर्बाद कर सकता है।
  • सच्ची खुशी: सच्ची खुशी धन में नहीं बल्कि संतुष्टि में होती है।
  • धोखेबाजों से सावधान: हमें हमेशा धोखेबाजों से सावधान रहना चाहिए।
  • समाज का व्यंग्य: कहानी समाज में व्याप्त धन के प्रति अत्यधिक मोह और धोखेबाजी के रवैये पर व्यंग करती है।

साहित्यिक उपकरण:

  • प्रतीकवाद: सांप, खजाना आदि प्रतीकात्मक रूप से विभिन्न भावों और विचारों को व्यक्त करते हैं।
  • वर्णन: लेखक ने पात्रों और परिवेश का बहुत ही सजीव वर्णन किया है।
  • संवाद: कहानी में पात्रों के बीच संवाद के माध्यम से उनके भावों और विचारों को उजागर किया गया है।

यह कहानी हमें सिखाती है कि धन और पदवी से अधिक महत्वपूर्ण है मानवीय मूल्य। हमें हमेशा ईमानदारी, मेहनत और संतुष्टि के साथ जीना चाहिए।

क्या आप इस कहानी के बारे में और कुछ जानना चाहते हैं?

  • विषय: आप कहानी के किसी विशेष पात्र, घटना या संदेश के बारे में अधिक जानना चाहते हैं।
  • साहित्यिक विश्लेषण: आप कहानी में प्रयुक्त साहित्यिक उपकरणों के बारे में अधिक गहराई से जानना चाहते हैं।
  • समाजिक संदर्भ: आप कहानी को समाज के वर्तमान संदर्भ में कैसे देखते हैं, इसके बारे में जानना चाहते हैं।

महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर

1. कहानी का शीर्षक “विष के दांत” क्यों रखा गया है?

उत्तर: क्योंकि सांप के विषैले दांत की तरह, धन और लोभ भी इंसान को अंदर से खोखला कर देते हैं।

2. कहानी का मुख्य पात्र किस तरह का व्यक्ति है?

उत्तर: मुख्य पात्र लोभी और लालची है। वह धनवान बनने की चाहत में पड़ जाता है।

3. कहानी का केंद्रीय विचार क्या है?

उत्तर: कहानी का केंद्रीय विचार है कि लोभ और लालच इंसान को बर्बाद कर सकते हैं।

4. कहानी में सांप का क्या महत्व है?

उत्तर: सांप लोभ और बुराई का प्रतीक है।

5. कहानी का अंत किस तरह का है?

उत्तर: कहानी का अंत दुखद है। मुख्य पात्र को केवल निराशा ही हाथ लगती है।

6. आप इस कहानी से क्या सीखते हैं?

उत्तर: हमें लोभ और लालच से दूर रहना चाहिए और सच्ची खुशी की तलाश करनी चाहिए।

7.. कहानी में किस सामाजिक समस्या को उजागर किया गया है?

उत्तर: कहानी में धन के प्रति अत्यधिक मोह और धोखेबाजी की समस्या को उजागर किया गया है।

8. कहानी में कौन से साहित्यिक उपकरणों का प्रयोग किया गया है?

उत्तर: प्रतीकवाद, वर्णन, संवाद आदि साहित्यिक उपकरणों का प्रयोग किया गया है।

पाठ के साथ

प्रश्न 1: कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: प्रस्तुत कहानी “विष के दाँत” में लेखक ने समाज के अमीरों द्वारा गरीबों पर किए जा रहे शोषण और अत्याचार पर गहरा व्यंग्य किया है। कहानी महल और झोपड़ी के बीच के संघर्ष को दर्शाती है, जहाँ अमीरों की शक्ति और गरीबों की पीड़ा के बीच की खाई स्पष्ट होती है।

कहानी का शीर्षक “विष के दाँत” बहुत ही सार्थक और प्रतीकात्मक है। यह शीर्षक उन दाँतों का प्रतीक है जो अमीरों के अत्याचार और उनकी कथित मर्यादा के प्रतीक हैं। कहानी में मदन द्वारा खोखा के टूटे हुए दाँत, अमीरों की प्रदर्शन-प्रियता और गरीबों पर उनके अत्याचार का प्रतीक बन जाते हैं। मदन का विद्रोह और उसके द्वारा उठाए गए कदम समाज में व्याप्त विषैली असमानताओं के खिलाफ एक मजबूत चेतावनी है।

इस प्रकार, “विष के दाँत” शीर्षक न केवल कहानी के कथानक के साथ न्याय करता है, बल्कि समाज में फैली विषैली प्रवृत्तियों और अमीर-गरीब के बीच के संघर्ष को भी उजागर करता है। मदन द्वारा अमीरों के “विष के दाँत” तोड़ना समाज में फैले अन्याय और अत्याचार के खिलाफ एक प्रेरणादायक कदम है, जो कई गिरधर लालों के लिए गर्व और प्रेरणा का स्रोत बनता है। लेखक ने इस कहानी के माध्यम से समाज को एक महत्वपूर्ण और मार्मिक संदेश दिया है, जिससे यह शीर्षक अत्यधिक सार्थक और प्रभावी बन गया है।

प्रश्न 2: सेन साहब के परिवार में बच्चों के पालन-पोषण में किए जा रहे लिंग आधारित भेदभाव का अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।

उत्तर: सेन साहब के परिवार में पाँच लड़कियाँ थीं—सीमा, रजनी, आलो, शेफाली, और आरती—जबकि सबसे छोटा बच्चा काशू बाबू था, जिसे प्यार से “खोखा” कहा जाता था। इस परिवार में लड़कियों और लड़के के पालन-पोषण में स्पष्ट लिंग आधारित भेदभाव दिखाई देता है।

लड़कियों के ऊपर कठोर अनुशासन लागू था। उन्हें घर की मर्यादाओं और नियमों का सख्ती से पालन करना पड़ता था। वहीं, खोखा, जो परिवार का इकलौता बेटा था, उसे ऐसी किसी सख्ती का सामना नहीं करना पड़ता था। उसकी उम्र कम होने के बावजूद, लड़कियों की अपेक्षा उसके प्रति विशेष मोह और नरमी दिखाई देती थी। इस कारण से, उसके ऊपर अनुशासन का बंधन काफी ढीला था, जबकि लड़कियों को हर छोटे-बड़े काम में अनुशासन और नियंत्रण का सामना करना पड़ता था।

इस प्रकार, सेन साहब के परिवार में बच्चों के पालन-पोषण में लिंग आधारित भेदभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है, जहाँ बेटा होने के कारण खोखा को विशेषाधिकार और स्वतंत्रता प्राप्त थी, जबकि लड़कियों को अनुशासन और नियमों की बेड़ियों में बांध कर रखा गया था।

प्रश्न 3: खोखा किन मामलों में अपवाद था?

उत्तर: सेन साहब एक अमीर आदमी थे, और उनके घर में अनुशासन और नियमों का सख्ती से पालन किया जाता था। हाल ही में उन्होंने एक नई कार खरीदी थी, जिसे वे बहुत ही सहेज कर रखते थे। कार की सुरक्षा के प्रति उनकी इतनी सतर्कता थी कि वे किसी को भी गाड़ी के पास फटकने नहीं देते थे। अगर कहीं कार पर एक धब्बा भी दिख जाए, तो क्लीनर और शॉफर की खैर नहीं रहती थी।

हालांकि, घर की लड़कियों से उन्हें मोटर की चमक-दमक को लेकर कोई खास खतरा नहीं था, लेकिन खोखा इस मामले में अपवाद था। खोखा, सेन साहब का सबसे छोटा बेटा, बुढ़ापे में उनकी आँखों का तारा था। उसका जन्म तब हुआ था जब सेन दंपति को संतान की कोई उम्मीद नहीं थी, इसलिए वह उनके लिए विशेष महत्त्व रखता था। इस वजह से, मिसेज सेन ने उसे काफी छूट दे रखी थी, और घर के नियम उसके लिए अक्सर अपवाद बन जाते थे।

मोटर-संबंधी नियम हो या घर का कोई अन्य अनुशासन, खोखा के लिए अक्सर सिद्धांत बदल जाते थे। जहाँ बाकी सभी के लिए नियमों का पालन अनिवार्य था, वहीं खोखा के लिए ये नियम शिथिल हो जाते थे। सेन साहब के घर में अगर किसी से कार को खतरा था, तो वह सिर्फ खोखा ही था, क्योंकि उसकी शरारतों और गतिविधियों पर कोई कठोर नियंत्रण नहीं था। इस प्रकार, खोखा घर के नियमों का अपवाद था, और उसे बाकी सभी से अलग विशेषाधिकार प्राप्त थे।

प्रश्न 4: सेन दंपति खोखा में कैसी संभावनाएँ देखते थे और उन संभावनाओं के लिए उन्होंने उसकी कैसी शिक्षा तय की थी?

उत्तर: सेन दंपति अपने बेटे खोखा में एक सफल भविष्य की संभावनाएँ देखते थे, विशेष रूप से उसे अपने पिता की तरह एक इंजीनियर बनाने की इच्छा रखते थे। उन्होंने खोखा के भविष्य को ध्यान में रखते हुए उसकी शिक्षा के लिए विशेष इंतजाम किए थे।

सेन साहब ने सुनिश्चित किया कि खोखा छोटी उम्र से ही औजारों और तकनीकी कार्यों से परिचित हो जाए। इसके लिए उन्होंने कारखाने से एक बढ़ई मिस्त्री को बुलाया, जो रोज़ घर आकर एक-दो घंटे खोखा के साथ ठोंक-ठाक करता था। इस प्रक्रिया का उद्देश्य था कि खोखा की उँगलियाँ बचपन से ही औजारों का अनुभव प्राप्त करें और वह तकनीकी कार्यों में माहिर हो सके।

इस प्रकार, सेन दंपति खोखा में एक कुशल इंजीनियर बनने की पूरी संभावना देखते थे और उसी दिशा में उसकी शिक्षा और प्रशिक्षण का मार्ग निर्धारित किया था।

5. सप्रसंग व्याख्या कीजिए

(क) लड़कियाँ क्या हैं, कठपुतलियाँ हैं और उनके माता-पिता को इस बात का गर्व है।

व्याख्या: प्रस्तुत पंक्तियाँ नलिन विलोचन शर्मा द्वारा लिखित “विष के दाँत” कहानी से ली गई हैं। यह संदर्भ सेन परिवार में पाली-पोसी जानेवाली लड़कियों की चारित्रिक विशेषताओं और उनके साथ किए जाने वाले भेदभाव को उजागर करता है।

सेन परिवार एक मध्यमवर्गीय परिवार है, जहाँ की जीवन-शैली बाहरी आडंबर और कृत्रिमताओं से भरी हुई है। इस परिवार में लड़कियों को तहजीब और तमीज के साथ जीना सिखाया जाता है, और उन पर कड़ी पाबंदियाँ लगाई जाती हैं। उन्हें शरारत करने, अपनी इच्छाओं को व्यक्त करने, और स्वच्छंद जीवन जीने की कोई स्वतंत्रता नहीं दी जाती।

इसके विपरीत, परिवार का इकलौता बेटा खोखा, जिसे उनके माता-पिता का विशेष लाड़-प्यार मिला हुआ है, पूरी तरह से स्वतंत्र है। उसके लिए कोई पाबंदी नहीं है, और उसे अपनी मर्जी के अनुसार जीने की पूरी छूट है।

सेन दंपति ने लड़कियों को इस तरह से पाला है कि उन्हें हमेशा यह सिखाया जाता है कि क्या नहीं करना है, जबकि खोखा के लिए कोई रोक-टोक नहीं है। इस प्रकार, इस परिवार में लड़कियों के प्रति दोहरी मानसिकता काम कर रही है। लड़कियों को कठपुतली की तरह नियंत्रित किया जाता है, और उनके माता-पिता इसे गर्व की बात मानते हैं।

यह लैंगिक भेदभाव केवल परिवार के भीतर ही नहीं, बल्कि व्यापक समाज में भी विषैली प्रवृत्तियों को जन्म देता है। लड़का-लड़की के साथ इस तरह का दोहरा व्यवहार परिवार और समाज के विकास के लिए घातक है। इसलिए, यह आवश्यक है कि लड़का-लड़की के बीच समानता को बढ़ावा दिया जाए और उन्हें समान अधिकारों और स्वतंत्रता का अनुभव करने का अवसर मिले।

(ख) खोखा के दुर्ललित स्वभाव के अनुसार ही सेनों ने सिद्धान्तों को भी बदल लिया था।

व्याख्या: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक की “विष के दाँत” नामक कहानी से ली गई हैं, जिसे आचार्य नलिन विलोचन शर्मा ने लिखा है। ये पंक्तियाँ सेन परिवार के लाड़ले बेटे खोखा के जीवन-प्रसंग से संबंधित हैं और यह बताने का प्रयास करती हैं कि सेन परिवार अपने बेटे के प्रति किस तरह का दोहरा व्यवहार रखता है।

सेन परिवार एक मध्यमवर्गीय सफेदपोश परिवार है, जहाँ बाहरी आडंबर और कृत्रिमता का बोलबाला है। इस नकली जीवनशैली के बीच, सेन दंपत्ति अपने बच्चों के प्रति भी अलग-अलग मापदंड अपनाते हैं। खोखा, जो परिवार का इकलौता बेटा है और बुढ़ापे में पैदा होने के कारण सबका लाडला है, वह शरारती स्वभाव का है। उसकी शरारतों और स्वच्छंदता के बावजूद, सेन दंपत्ति ने उसके लालन-पालन में कोई पाबंदी या अनुशासन लागू नहीं किया है। इसके विपरीत, उसके लिए सारे नीति-नियम शिथिल कर दिए गए थे।

खोखा इतना उच्छृंखल था कि उसके द्वारा किए गए बुरे कार्यों को भी सेन दंपत्ति एक अलग दृष्टिकोण से देखते थे और उसकी तारीफ करते नहीं थकते थे। सेन दंपत्ति खोखा को एक इंजीनियर बनाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने उसके स्वभाव के अनुरूप उसकी शिक्षा की व्यवस्था भी उसी तरह से की थी। उसे पारंपरिक किंडरगार्टन शिक्षा के बजाय, कारखाने में बढ़ई मिस्त्री के साथ काम सीखने के लिए लगाया गया, ताकि वह औजारों से परिचित हो सके और तकनीकी कार्यों में निपुण बन सके।

इस प्रकार, सेन परिवार ने अपने लाड़ले बेटे खोखा के दुर्ललित और उच्छृंखल स्वभाव के अनुरूप ही न केवल उसकी शिक्षा की व्यवस्था की, बल्कि अपने सिद्धांतों को भी बदल लिया था। इस कहानी के माध्यम से यह स्पष्ट होता है कि परिवार में बच्चों के प्रति दोहरा व्यवहार और लाड़-प्यार समाज के लिए कितने हानिकारक हो सकते हैं।

(ग) ऐसे ही लड़के आगे चलकर गुंडे, चोर और डाकू बनते हैं।

व्याख्या: प्रस्तुत पंक्तियाँ नलिन विलोचन शर्मा द्वारा लिखित “विष के दाँत” शीर्षक कहानी से ली गई हैं। यह प्रसंग सेन साहब और गिरधर लाल के बेटे मदन के बीच की घटना से संबंधित है।

एक बार, मदन सेन साहब की गाड़ी के पास खड़ा होकर उसे छू रहा था। जब शॉफर ने उसे ऐसा करने से रोका, तो मदन ने गुस्से में आकर शॉफर पर हमला करने की कोशिश की। इस पर शॉफर ने उसे धक्का देकर नीचे गिरा दिया, जिससे मदन का घुटना फूट गया। जब इस घटना की जानकारी शॉफर ने सेन साहब को दी, तो सेन साहब ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और गिरधर लाल को फैक्ट्री से बुलाकर डांटते हुए कहा कि मदन बहुत शरारती हो गया है और ऐसे ही लड़के आगे चलकर गुंडे, चोर और डाकू बनते हैं।

इस प्रसंग से सेन साहब के चरित्र का दोगलापन स्पष्ट होता है। एक ओर, वे अपने अनुशासनहीन और शरारती बेटे खोखा की शरारतों को नजरअंदाज कर उसे इंजीनियर बनाने का सपना पालते हैं, जबकि दूसरी ओर, गिरधर लाल के बेटे मदन की शरारत उन्हें अस्वीकार्य और खतरनाक लगती है। सेन साहब का यह व्यवहार उनकी सामाजिक स्थिति और संपन्नता के कारण उत्पन्न दंभ को दर्शाता है।

मध्यवर्गीय समाज के इस जीवन चरित्र में, अमीरों द्वारा गरीबों के बच्चों को उनके कुलक्षणों के लिए दोषी ठहराना, जबकि अपने बच्चों की बुराइयों को नजरअंदाज करना एक आम प्रवृत्ति है। सेन साहब अपने बेटे की प्रशंसा करते हैं, भले ही वह कुलनाशक हो, लेकिन निर्धन और निर्बल गिरधर लाल के बेटे में उन्हें केवल दोष ही नजर आते हैं। इस प्रकार, यह प्रसंग समाज के उस वर्गभेद और असमानता को उजागर करता है, जो अमीर और गरीब के बीच व्याप्त है।

(घ) हंस कौओं की जमात में शामिल होने के लिए ललक गया।

व्याख्या: प्रस्तुत पंक्तियाँ नलिन विलोचन शर्मा द्वारा लिखित “विष के दाँत” नामक कहानी से ली गई हैं। इस प्रसंग में सेन दंपत्ति के बेटे खोखा और गिरधर लाल के बेटे मदन के बीच का सामाजिक भेदभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।

कहानी में एक दिन शाम के समय, खोखा बँगले के अहाते के बगल वाली गली में पहुँच गया, जहाँ मदन और उसके निम्न मध्यमवर्गीय दोस्त धूल में लट्टू नचा रहे थे। खोखा, जो अमीर सेन परिवार का सदस्य था, हंस के समान उच्च वर्ग का प्रतीक था, जबकि मदन और उसके साथी लड़के, जो निम्न वर्ग से थे, उन्हें कौओं के रूप में संबोधित किया गया। जब खोखा ने मदन और उसके साथियों को लट्टू नचाते देखा, तो उसकी भी इच्छा लट्टू नचाने की हुई।

हालाँकि, सामाजिक भेदभाव और असमानता के कारण खोखा को मदन के साथ खेलना संभव नहीं हो सका। मदन, जो पहले से ही सेन साहब के व्यवहार से अपमानित महसूस कर रहा था, ने खोखा को गली से भगा दिया और उसे याद दिलाया कि वह एक बड़े घर का बच्चा है, और इस तरह के निम्न वर्गीय खेल उसके लिए नहीं हैं। उसने तंज कसते हुए कहा, “अबे, भाग जा यहाँ से। बड़ा आया है लट्टू खेलने वाला! यहाँ तेरा लट्टू नहीं है। जा, जा, अपने बाबा की मोटर में बैठ।”

इन पंक्तियों के माध्यम से कहानीकार सामाजिक असमानता, भेदभाव और गैरबराबरी की गहरी सच्चाइयों को उजागर करता है। खोखा, जो अमीरों का प्रतीक है, कौओं की जमात (निम्न वर्ग) में शामिल होकर उनके साथ खेलना चाहता है, लेकिन सामाजिक बंधनों के कारण उसे ऐसा करने की अनुमति नहीं मिलती। यह प्रसंग समाज में व्याप्त वर्ग भेदभाव और असमानता की एक मार्मिक तस्वीर प्रस्तुत करता है।

प्रश्न 6: सेन साहब के और उनके मित्रों के बीच क्या बातचीत हुई और पत्रकार मित्र ने उन्हें किस तरह उत्तर दिया?

उत्तर: एक दिन सेन साहब के ड्राइंग रूम में उनके कुछ मित्र गपशप कर रहे थे। इनमें एक साधारण हैसियत के अखबारनवीस भी शामिल थे, जो सेन साहब के दूर के रिश्तेदार भी होते थे। उनके साथ उनका बेटा भी था, जो उम्र में खोखा से छोटा था, लेकिन समझदार और होनहार दिखाई देता था। बातचीत के दौरान किसी ने उस बच्चे की कोई हरकत देखकर उसकी तारीफ की और पत्रकार से पूछा कि क्या बच्चा स्कूल जाता है?

इससे पहले कि पत्रकार कुछ उत्तर दे पाते, सेन साहब ने बात का रुख अपनी ओर मोड़ लिया। वे अपने बेटे खोखा के बारे में बात करने लगे और गर्व से बताया कि वे खोखा को इंजीनियर बनाने जा रहे हैं। सेन साहब ने अपने बेटे के भविष्य की योजनाओं के बारे में बात करते हुए उन बातों को बार-बार दुहराया, जैसे कि वे अपनी बात से कभी थकते न हों।

पत्रकार महोदय इस बातचीत के दौरान चुपचाप मुस्कुराते रहे। जब उनसे फिर पूछा गया कि वे अपने बेटे के भविष्य के बारे में क्या सोचते हैं, तो उन्होंने विनम्रता से उत्तर दिया, “मैं चाहता हूँ कि वह जेंटलमैन जरूर बने और जो कुछ भी बने, उसे पूरी आज़ादी रहेगी।”

पत्रकार के इस उत्तर में शिष्टता के साथ-साथ एक प्रच्छन्न व्यंग्य भी छिपा था, जिसने सेन साहब को असहज कर दिया। पत्रकार ने सेन साहब की जीवनशैली और उनकी संकीर्ण मानसिकता पर परोक्ष रूप से कटाक्ष किया, यह बताते हुए कि असली महत्व इस बात में है कि बच्चा जेंटलमैन बने, न कि केवल एक पेशेवर इंजीनियर। सेन साहब इस उत्तर को सुनकर भीतर ही भीतर झुंझला गए, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं कहा।

प्रश्न 7: मदन और ड्राइवर के बीच के विवाद के द्वारा कहानीकार क्या बताना चाहता है?

उत्तर: कहानीकार ने मदन और ड्राइवर के बीच के विवाद के माध्यम से समाज में व्याप्त सामंती मानसिकता और वर्ग भेदभाव को उजागर किया है। मदन, जो एक गरीब व्यक्ति गिरधर लाल का बेटा है, सेन साहब की मोटर को छूने की कोशिश करता है। यह साधारण-सी हरकत ड्राइवर को इतनी नागवार गुजरती है कि वह मदन को धक्का देकर नीचे गिरा देता है, जिससे उसे चोट लग जाती है।

इस घटना के माध्यम से कहानीकार यह दिखाना चाहते हैं कि किस प्रकार समाज में अमीरों और सामंती मानसिकता वाले लोगों द्वारा गरीबों के साथ भेदभावपूर्ण और अपमानजनक व्यवहार किया जाता है। ड्राइवर का मदन के साथ यह कठोर व्यवहार इस बात का प्रतीक है कि समाज में गरीबों के साथ किस तरह का अन्यायपूर्ण व्यवहार किया जाता है।

मदन का सिर्फ मोटर को छूना, जो कि अमीरों की संपत्ति का प्रतीक है, ड्राइवर को असहनीय लगता है, क्योंकि वह सामंती सोच से ग्रस्त है। इस सोच के अनुसार, गरीबों का अमीरों की संपत्ति या अधिकार क्षेत्र में किसी भी तरह का हस्तक्षेप अस्वीकार्य है।

कहानीकार इस विवाद के माध्यम से यह संदेश देना चाहते हैं कि समाज में व्याप्त सामंती मानसिकता और गरीबों के प्रति अपमानजनक रवैया न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि सामाजिक असमानता को और गहरा करता है। इस घटना के जरिए वे हमें यह सोचने पर मजबूर करते हैं कि समाज में समानता और सम्मान का व्यवहार सभी के प्रति होना चाहिए, चाहे वह अमीर हो या गरीब।

प्रश्न 8: काशू और मदन के बीच झगड़े का कारण क्या था? इस प्रसंग के द्वारा लेखक क्या दिखाना चाहता है?

उत्तर: काशू और मदन के बीच झगड़े का मुख्य कारण काशू द्वारा मदन से लट्टू मांगना था। जब काशू ने मदन से उसका लट्टू मांगा, तो मदन ने उसे देने से इंकार कर दिया। इस पर काशू ने मदन को मारा, और जवाब में मदन ने भी काशू को मारा।

इस प्रसंग के माध्यम से लेखक यह दिखाना चाहते हैं कि बच्चों के बीच स्वाभाविक रूप से किसी भी प्रकार की सामाजिक या सामंती मानसिकता का भय नहीं होता। उनके व्यवहार में अमीर-गरीब का भेदभाव या किसी प्रकार की उच्च-नीच की भावना नहीं होती। काशू और मदन के बीच का यह झगड़ा सामान्य बच्चों के झगड़े की तरह है, जिसमें वे एक-दूसरे से बराबरी के आधार पर लड़ते हैं।

हालांकि, लेखक इस झगड़े के जरिये यह भी संकेत करते हैं कि समाज में फैली सामंती मानसिकता का असर धीरे-धीरे बच्चों पर भी पड़ने लगता है। लेकिन इस उम्र में बच्चे उस मानसिकता से पूरी तरह प्रभावित नहीं होते और वे स्वाभाविक रूप से अन्याय का विरोध करते हैं, चाहे वह विरोध उनके लिए किसी भी परिणाम के रूप में सामने आए।

यह प्रसंग इस बात को भी उजागर करता है कि बच्चों में समाज के अन्यायपूर्ण नियमों के प्रति विरोध करने का साहस होता है, जो समाज के बड़ों में अक्सर नहीं दिखता। लेखक इस झगड़े के जरिये बच्चों की इस प्राकृतिक स्वतंत्रता और न्यायप्रियता को सामने लाने का प्रयास करते हैं।

प्रश्न 9: ‘महल और झोपड़ी वालों की लड़ाई में अक्सर महल वाले ही जीतते हैं, पर उसी हालत में जब दूसरे झोपड़ी वाले उनकी मदद अपने ही खिलाफ करते हैं।’ लेखक के इस कथन को कहानी से एक उदाहरण देकर पुष्ट कीजिए।

उत्तर: लेखक का यह कथन समाज में व्याप्त वर्ग संघर्ष और असमानता की ओर संकेत करता है, जहां अमीर (महल वाले) अक्सर गरीबों (झोपड़ी वाले) पर विजय प्राप्त करते हैं। यह विजय केवल तभी संभव होती है जब झोपड़ी वाले खुद ही एक-दूसरे के खिलाफ हो जाते हैं और अमीरों का साथ देने लगते हैं।

कहानी में इसका उदाहरण मदन और खोखा के बीच की लड़ाई से मिलता है। सेन साहब की नई चमकती हुई काली गाड़ी को छूने के अपराध में मदन को शोफर द्वारा न केवल घसीटा जाता है, बल्कि उसके पिता गिरधर भी उसे बेरहमी से पीटते हैं। यह घटना दर्शाती है कि गिरधर, जो खुद एक गरीब आदमी है, अपने बेटे पर अमीरों के अत्याचार का विरोध करने के बजाय, उसी अत्याचार का हिस्सा बन जाता है।

हालांकि, जब खोखा दूसरे दिन मदन की मंडली में लट्टू खेलने आता है, तो मदन का स्वाभिमान जाग उठता है और दोनों के बीच लड़ाई शुरू हो जाती है। यह लड़ाई महल और झोपड़ी की लड़ाई का प्रतीक है। इस बार, मदन ने अपने स्वाभिमान के लिए लड़ाई लड़ी और खोखा को मुँह की खानी पड़ी।

इस प्रकार, इस उदाहरण से स्पष्ट होता है कि जब झोपड़ी वाले अपने आत्मसम्मान के लिए एकजुट होते हैं और अमीरों के खिलाफ खड़े होते हैं, तो वे जीत सकते हैं। लेकिन अक्सर, महल वाले तभी जीतते हैं जब झोपड़ी वाले आपस में ही एक-दूसरे के खिलाफ हो जाते हैं, जैसा कि मदन के पिता गिरधर के व्यवहार से प्रतीत होता है।

प्रश्न 10: रोज-रोज अपने बेटे मदन की पिटाई करने वाला गिरधर, मदन द्वारा काशू की पिटाई करने पर उसे दंडित करने के बजाय अपनी छाती से क्यों लगा लेता है?

उत्तर: गिरधर लाल सेन साहब की फैक्ट्री में एक किरानी था और सेन साहब के बंगले के अहाते में एक आउट-हाउस में रहता था। जब सेन साहब ने मदन की शिकायत की, तो गिरधर अपने बेटे मदन की पिटाई करता था, क्योंकि उसे सेन साहब की बात माननी पड़ती थी।

लेकिन जब मदन ने काशू को धक्का देकर उसके दांत तोड़ दिए, तो गिरधर ने अपनी प्रतिक्रिया में एक अनोखा व्यवहार किया। वह मदन को दंडित करने के बजाय उसे गर्व और उल्लास के साथ अपनी छाती से लगा लेता है। इसका कारण यह है कि मदन ने वही किया, जिसे गिरधर स्वयं नहीं कर सका — यानी शोषण और अत्याचार के खिलाफ प्रतिरोध किया और काशू को उसके अहंकार का जवाब दिया।

गिरधर की इस प्रतिक्रिया में एक प्रकार की आत्मसंतोष और गौरव की भावना छिपी हुई है। वह अपने बेटे के बहादुरी और स्वतंत्रता से प्रभावित था, जिसने समाज में व्याप्त अन्याय और अपमान के खिलाफ एक मजबूत प्रतिरोध किया। मदन की निर्भीकता और आत्मसम्मान ने गिरधर को गर्वित कर दिया और उसे यह महसूस हुआ कि उसका बेटा उसके द्वारा न किए गए कार्य को पूरी ताकत और साहस के साथ कर रहा है।

इस प्रकार, गिरधर ने अपने बेटे की पिटाई करने के बजाय उसे अपनाया और उसकी बहादुरी का सम्मान किया। यह एक प्रकार से उस सामाजिक अन्याय और दबाव का विरोध है जिसे गिरधर खुद झेलता रहा है।

प्रश्न 11: सेन साहब, मदन, काशू और गिरधर का चरित्र-चित्रण करें।

उत्तर:

  1. सेन साहब:
    सेन साहब कहानी के प्रमुख पात्र हैं और अमीर वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने हाल ही में एक नई चमकदार गाड़ी खरीदी है और इस गाड़ी को हर किसी से दूर रखने की आदत रखते हैं, खासकर गरीबों और अन्य कर्मचारियों से। सेन साहब की मानसिकता सामंती और दिखावटी है; वे अपने बेटे खोखा के प्रति अत्यधिक गर्वित और बेतहाशा प्रेमपूर्ण हैं। वे अपने बेटे की तुलना में किसी और बच्चे की प्रशंसा सहन नहीं कर सकते और अपने सामाजिक रुतबे को बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं। सेन साहब का स्वभाव दिखावटी और कठोर है, और वे गरीबों को अपनी संपत्ति और सामाजिक स्थिति के आधार पर तुच्छ मानते हैं।
  2. मदन:
    मदन, गिरधर का बेटा है, जो सेन साहब की फैक्ट्री में एक कर्मचारी है। मदन का स्वभाव साहसी और निर्भीक है। वह बाल सुलभ शरारतों से भरा हुआ है और सामाजिक अन्याय या अत्याचार के खिलाफ प्रतिरोध करता है। जब काशू, सेन साहब का पुत्र, मदन से झगड़ता है, तो मदन भी उसी की भाषा में जवाब देता है। मदन की निर्भीकता और साहस उसके चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ हैं, और वह सामाजिक भेदभाव और अत्याचार के खिलाफ खड़ा होता है।
  3. काशू:
    काशू, सेन साहब का एकमात्र पुत्र है और उसका लाड़-प्यार की वजह से बहुत बिगड़ चुका है। काशू शरारत करने में माहिर है और उसे अपनी समाजिक स्थिति और अमीर पिता की सुरक्षा का पूरा भरोसा है। उसकी शरारतों और अहंकार के कारण वह समाज में अन्य लोगों के प्रति असभ्य और दुष्ट व्यवहार करता है। काशू का चरित्र दिखाता है कि कैसे अत्यधिक लाड़-प्यार और सामाजिक स्थिति का प्रभाव एक व्यक्ति के स्वभाव को बिगाड़ सकता है।
  4. गिरधर:
    गिरधर सेन साहब की फैक्ट्री में एक कर्मचारी है और उसी के अहाते में रहता है। वह एक सीधा-साधा और सरल व्यक्ति है, जो अपने काम में ईमानदारी से व्यस्त रहता है। गिरधर को अक्सर सेन साहब का गुस्सा झेलना पड़ता है, विशेषकर जब उनके बेटे मदन के व्यवहार के कारण समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। गिरधर अपने बेटे के प्रति बहुत स्नेही और गर्वित है, विशेषकर जब मदन ने काशू के अहंकार का जवाब दिया। गिरधर की यह सरलता और अपने बेटे के प्रति गहरी भावनाएँ उसकी पात्रता को दर्शाती हैं।

प्रश्न 12: आपकी दृष्टि में कहानी का नायक कौन है? तर्कपूर्ण उत्तर दें।

उत्तर: मेरी दृष्टि में ‘विष के दाँत’ कहानी का नायक मदन है।

पारंपरिक दृष्टिकोण से, नायक वह होता है जो उच्च कुलोत्पन्न, सुसंस्कृत, सुशिक्षित और युवा हो। लेकिन आधुनिक दृष्टिकोण में, नायक की परिभाषा में बदलाव आया है। आज की कथा में, नायक वही होता है जो घटनाओं का संचालक होता है, जिनका चरित्र सबसे अधिक प्रभावशाली होता है, और जिनका महत्व पूरे कथावस्तु में सर्वोपरि होता है।

इस परिभाषा के अनुसार, मदन इस कहानी का नायक है क्योंकि:

  1. घटनाओं का संचालक: मदन ही कहानी में घटनाओं को संचालित करता है। उसका काशू के साथ झगड़ा और खोखे के विष के दाँत उखाड़ने की घटना पूरी कथा के केंद्र में है। उसकी क्रियाएँ और निर्णय कहानी की दिशा को बदलते हैं और मुख्य घटनाओं को जन्म देते हैं।
  2. प्रभावशाली चरित्र: मदन का चरित्र साहसी और निर्भीक है, जो समाज में व्याप्त अन्याय और शोषण के खिलाफ खड़ा होता है। उसकी निर्भीकता और प्रतिरोध की भावना अन्य पात्रों के मुकाबले सबसे अधिक प्रभावशाली है।
  3. कथावस्तु का महत्व: मदन की लड़ाई और उसकी भूमिका पूरे कथावस्तु में महत्वपूर्ण है। उसकी भूमिका और कार्य ही कहानी के मुख्य मुद्दे को उजागर करते हैं और समाज में व्याप्त अन्याय और असमानता की सच्चाई को सामने लाते हैं।

इसलिए, मदन ही कहानी का नायक है, क्योंकि उसकी क्रियाएँ और चरित्र पूरे कहानी की धारा को निर्धारित करते हैं और उसकी भूमिका सभी पात्रों में सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावशाली है।

प्रश्न 13: आरंभ से ही कहानीकार का स्वर व्यंग्यपूर्ण है। ऐसे कुछ प्रमाण प्रस्तुत करें।

उत्तर: नलिन विलोचन शर्मा की कहानी ‘विष के दाँत’ में व्यंग्यपूर्ण स्वर कहानी के आरंभ से ही स्पष्ट होता है। कहानीकार ने कई स्थलों पर व्यंग्य का प्रयोग किया है, जिससे समाज की विडंबनाओं और चरित्रों की वास्तविकता को उजागर किया गया है। यहाँ कुछ प्रमुख प्रमाण हैं:

  1. लड़कियों का चरित्र:
  • “पाँचों लड़कियाँ तो तहजीब और तमीज की जीती-जागती मूरत ही हैं।”
  • यहाँ कहानीकार ने लड़कियों के चरित्र की अतिशयोक्ति की है। इस पंक्ति में उनके शुद्ध और संस्कारी होने की बात की गई है, जो एक व्यंग्यपूर्ण टिप्पणी है कि ये लड़कियाँ दिखावे के लिए तो संस्कारी और तमीज़दार हैं, लेकिन वास्तविकता में उनके साथ क्या हो रहा है, इसका संकेत कहानी में आगे जाकर मिलता है।
  1. चमकदार गाड़ी:
  • “चमक ऐसी कि अपना मुँह देख लो।”
  • इस वाक्य में सेन साहब की नई गाड़ी की चमक की बात की गई है, लेकिन इसे व्यंग्यपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया गया है। गाड़ी की चमक को लेकर की गई यह टिप्पणी सेन साहब की दिखावे और उनके धन का एक व्यंग्यपूर्ण चित्रण है, जिसमें गाड़ी की चमक को अतिशयोक्ति के साथ जोड़ा गया है।

इन पंक्तियों के माध्यम से कहानीकार ने समाज के विभिन्न वर्गों और उनके व्यवहार पर व्यंग्य किया है, जिससे पाठकों को समाज की विडंबनाओं और वास्तविकताओं को सोचने पर मजबूर किया गया है।

प्रश्न 14: ‘विष के दाँत’ कहानी का सारांश लिखें।

उत्तर:

‘विष के दाँत’ कहानी के लेखक नलिन विलोचन शर्मा ने इस कथा के माध्यम से एक धनवान परिवार और एक गरीब परिवार की सामाजिक विषमताओं को उजागर किया है।

कहानी की शुरुआत सेन साहब के परिवार से होती है, जहाँ सेन साहब और उनकी पत्नी कड़े अनुशासन का पालन करते हैं। उनके परिवार में पाँच बेटियाँ हैं, जिनके ऊपर कड़ा अनुशासन और प्रतिबंध लगाए गए हैं। लड़कियाँ इतनी अनुशासित हो गई हैं कि वे स्वाधीनता के बिना केवल घर के नियमों का पालन करती हैं।

इसके विपरीत, सेन साहब का एकमात्र पुत्र खोखा, जो सबसे छोटा है, पर कोई नियम लागू नहीं होता। उसे बहुत लाड़-प्यार मिलता है और उसकी हर हरकत पर उसके माता-पिता नजरअंदाज करते हैं। खोखा शरारती हो चुका है और अपने स्वभाव के कारण नौकरों और बहनों पर भी अधिकार जताता है।

एक दिन, सेन साहब अपने दोस्तों के साथ गपशप कर रहे थे, जिनमें एक पत्रकार मित्र भी शामिल था। पत्रकार के साथ उसके छोटे बेटे के बारे में बात करने पर सेन साहब ने खोखा के बारे में बढ़-चढ़कर बातें कीं और उसे इंजीनियर बनाने की योजना का जिक्र किया।

सेन साहब के अहाते में गिरधर लाल नामक एक गरीब कर्मचारी रहता है, जिसका बेटा मदन खोखा के समान उम्र का है। एक दिन मदन सेन साहब की गाड़ी को गंदा कर देता है, जिसके कारण सेन साहब गिरधर लाल को बुलाकर उसे डाँटते हैं। इसके परिणामस्वरूप, गिरधर लाल मदन को बेरहमी से पीटता है।

अगले दिन, खोखा बगल की गली में मदन और अन्य बच्चों के साथ खेल रहा होता है। खोखा ने मदन से लट्टू माँगा, लेकिन मदन ने देने से इंकार कर दिया। इसके बाद खोखा ने मदन पर हमला किया और बदले में मदन ने खोखा को भी जवाब दिया। इस झगड़े में मदन ने खोखा के दो दाँत तोड़ दिए, जो कि कथानक में ‘विष के दाँत’ का प्रतीक बन गए हैं।

कहानी के अंत में, मदन की इस क्रिया से सेन साहब के बेटे की अतिशयोक्ति और उनके द्वारा दिखाए गए सामंती व्यवहार का पर्दाफाश होता है। मदन की निर्भीकता और साहस ने समाज में व्याप्त असमानता और अन्याय के खिलाफ एक प्रतिरोध का प्रतीक प्रस्तुत किया है।

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